कम हुआ कैलास मानसरोवर का पैदल पथ
उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से चीन में प्रवेश करने वाली पवित्र कैलास मानसरोवर यात्रा का पैदल पथ इस बार 54 किलोमीटर कम हो जाएगा। भारत-चीन सीमा को विभाजित करने वाले इस दर्रे तक पहुंचने के लिए धारचूला (पिथौरागढ़) के नारायणआश्रम से पैदल सफर शुरू होता है और एक तरफ की
नैनीताल। उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से चीन में प्रवेश करने वाली पवित्र कैलास मानसरोवर यात्रा का पैदल पथ इस बार 54 किलोमीटर कम हो जाएगा। भारत-चीन सीमा को विभाजित करने वाले इस दर्रे तक पहुंचने के लिए धारचूला (पिथौरागढ़) के नारायणआश्रम से पैदल सफर शुरू होता है और एक तरफ की कुल दूरी 82 किलोमीटर पड़ती है।
महाकाली नदी पर नपल्च्यू और गुंजी के बीच पुल निर्माण पूरा होने के बाद यात्रियों को इस साल गर्ब्यांग से नाभीढांग तक 27 किलोमीटर गाड़ी से ले जाया जाएगा और वापसी में भी इतनी ही दूरी कम होगी। एक तरह से अब यात्रियों को 54 किलोमीटर कम पैदल चलना पड़ेगा।
कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए अभी तक यात्रियों को उच्च हिमालय में नारायणआश्रम से लिपुलेख और लिपुलेख से वापस नारायणआश्रम आने में कुल 164 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। काली नदी पर पुल बनने के बाद गर्ब्यांग से गुंजी, गुंजी से कालापानी व कालापानी से नाभीढांग (27 किमी) तक यात्री गाड़ी से ले जाए जाएंगे।
यात्रा संचालक कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने बताया कि गाड़ियों के लिए विदेश मंत्रालय को पत्र भेजा गया है।
दो जून से होगी आदि कैलास यात्रा
कैलास मानसरोवर यात्रा का भले ही कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ हो, मगर निगम ने आदि कैलास यात्रा का कार्यक्रम जारी करने के साथ ही तीन दलों को हरी झंडी दे दी है। कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने बताया कि जून के पहले सप्ताह में 25, 40 व 20 यात्रियों के दल आदि कैलास के लिए भेजे जाएंगे।