अंगद देव व गुरु तेगबहादुर के प्रकाशोत्सव पर सजा कीर्तन दरबार
गुरुद्वारा गुरु का ताल में शुक्रवार को सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव और नवें गुरु तेगबहादुर साहिब का प्रकाशोत्सव मनाया गया। भाई नंदलाल जी दीवान हॉल में आयोजित कीर्तन दरबार में रागी जत्थों ने शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया। कार्यक्रम की शुरुआत गुरुद्वारा मंजी साहिब में बुधवार को शुरू हुए अखंड पाठ साहिब के समापन से
आगरा। गुरुद्वारा गुरु का ताल में शुक्रवार को सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव और नवें गुरु तेगबहादुर साहिब का प्रकाशोत्सव मनाया गया। भाई नंदलाल जी दीवान हॉल में आयोजित कीर्तन दरबार में रागी जत्थों ने शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया।
कार्यक्रम की शुरुआत गुरुद्वारा मंजी साहिब में बुधवार को शुरू हुए अखंड पाठ साहिब के समापन से हुई। संत बाबा निरंजन सिंह और संत बाबा प्रीतम सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश करवाया। इसके बाद कीर्तन दरबार सजा। गुरुद्वारा गुरु का ताल के हजूरी रागी कुलदीप सिंह ने कीर्तन करते हुए कहा कि जिस तरह गर्मी की ऋतु के बाद बगीचों में हरियाली होती है, उसी प्रकार जब धरती पर किसी गुरु का आगमन होता है, तो वहां अंधकार समाप्त हो जाता है।
दिल्ली से आए भाई साजन सिंह ने गुरु तेगबहादुर साहब की वाणी 'हर को नाम सदा सुख दाई' सुनाते हुए कहा कि परमात्मा का नाम जपने से सुखों के खजाने की प्राप्ति होती है। धन का खजाना तो खत्म हो सकता है, लेकिन सुखों का खजाना कभी खत्म नहीं होता। उन्होंने जब 'साधो मानस जनम अमोलक पायो, विरथा काहै गवावो' सुनाया तो संगत निहाल हो गई। दिल्ली से पधारी प्रीत कौर और पनीत कौर ने 'सतगुरु की वाणी जाणौ गुर सिक्खो' सुनाते हुए सतगुरु की वाणी को जानने की अपील की। अंत में दिल्ली से आए भाई सुरिंदर सिंह ने 'गुन गोविंद गायो नहीं, जनम अकारथ दीन' सुनाते हुए कहा कि अगर गुरु की भक्ति में लीन नहीं हुए तो अपना जीवन व्यर्थ कर लिया। अंत में गुरु का अटूट लंगर बरता गया। कार्यक्रम में दिल्ली के जनकपुरी और सुंदर विहार से आई संगत शामिल हुई।