Move to Jagran APP

यहाँ राजा के तरह पूजे जाते है श्री राम, दी जाती है बंदूकों द्वारा सलामी।

लेकिन रानी को कई महीनों तक राजा राम के दर्शन नहीं हुए। वह निराश होकर अपने प्राण त्यागने सरयू की मझधार में कूद पड़ी। यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें राजा राम के दर्शन हुए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 13 Dec 2016 11:12 AM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 10:52 AM (IST)
यहाँ राजा के तरह पूजे जाते है श्री राम, दी जाती है बंदूकों द्वारा सलामी।
यहाँ राजा के तरह पूजे जाते है श्री राम, दी जाती है बंदूकों द्वारा सलामी।

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित है 'ओरछा'। ओरछा धार्मिक नगरी होने के साथ ही ऐतिहासिक शहर है। यहां पर स्थित है राजा राम मंदिर।

loksabha election banner

मप्र पुलिस के जवानों द्वारा सूर्योदय और सूर्योस्त के समय मंदिर में बंदूकों द्वारा सलामी दी जाती है। यह सिलसिला काफी समय से जारी है। ओरछा के राजा राम मंदिर में बना हुआ पान यानी पान का बीड़ा दिया जाता है।

बुंदेला स्थापत्य शैली में बना दूसरी ओर ओरछा का प्रसिद्ध किला है। कहते हैं कि ओरछा की महारानी राजा राम के बाल रूप को अयोध्या से पैदल लेकर आईं थीं। रानी का नाम गणेशकुंवर था और राजा का नाम मधुरकशाह। रानी रामभक्त थीं।

एक बार वह अयोध्या की तीर्थयात्रा पर गईं और वहां सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपनी कुटी बनाकर साधना आरंभ की। इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधनारत थे। संत से आशीर्वाद पा कर रानी की आराधना और दृढ़ होती गई।

लेकिन रानी को कई महीनों तक राजा राम के दर्शन नहीं हुए। वह निराश होकर अपने प्राण त्यागने सरयू की मझधार में कूद पड़ी। यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें राजा राम के दर्शन हुए। रानी ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया। और इस तरह साक्षात् ओरछा आए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.