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और बेहतर होगा केदारनाथ

केदारनाथ में देवदर्शिनी स्थल के पुराने स्वरूप में लौटाने की सरकार की कवायद सुकून देने वाली सूचना है। बशर्ते सरकार की ओर से किया जा रहा यह दावा धरातल पर उतरे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 13 Jan 2015 11:40 AM (IST)Updated: Tue, 13 Jan 2015 11:42 AM (IST)
और बेहतर होगा केदारनाथ

केदारनाथ। केदारनाथ में देवदर्शिनी स्थल के पुराने स्वरूप में लौटाने की सरकार की कवायद सुकून देने वाली सूचना है। बशर्ते सरकार की ओर से किया जा रहा यह दावा धरातल पर उतरे।

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केदारनाथ में आई आपदा के तकरीबन डेढ़ वर्ष बाद पुनर्निर्माण कार्यो की रफ्तार देखते हुए यह सवाल उठना लाजिमी भी है। सरकार की ओर से गत वर्ष केदारनाथ यात्रा को सुचारू तो किया गया लेकिन केदारनाथ धाम के हालात बहुत अच्छे नहीं थे। पूरे क्षेत्र में फैला सन्नाटा हकीकत को बयां करने के लिए काफी था। जिन लोगों ने इस दौरान केदारनाथ की यात्रा की उन्हें यहां आकर सुकून तो मिला लेकिन कहीं न कहीं यहां के हालात उनके मन को कचोटते भी रहे। यही कारण भी रहा कि केदारनाथ आने वाले यात्रियों की संख्या बहुत सीमित रही। बावजूद इसके इस यात्रा का होना ही एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा गया। इससे उम्मीद जगी कि यदि सरकार सही मायनों में यात्रा के प्रति गंभीर है तो इससे केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यो को गति मिलेगी।

सरकार ने भी कपाट बंद होने के बाद जिस प्रकार से यहां निर्माण कार्यो को सुचारू रखने के लिए भरसक प्रयास किया, उससे लोगों को कुछ उम्मीद जगी है। यहां नेशनल इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियङ्क्षरग का जिक्र करना भी बहुत जरुरी है। निम ने केदारनाथ में भारी बर्फबारी के बीच विपरीत और दुरुह परिस्थितियों में जो काम किया, वह काबिले तारीफ रहा। निम के प्रयासों का ही यह नतीजा रहा कि केदारनाथ में एमआई-26 हेलीकाप्टर के उतरने के लिए एक हैलीपैड तैयार किया जा सका। इसी की मदद से आज केदारनाथ में जेसीबी व क्रेन समेत कई भारी उपकरण व सामान पहुंचाए जा सके हैं, जो यहां पुननिर्माण कार्यो को गति प्रदान करेंगे। जिस प्रकार से सरकार ने देवदर्शिनी स्थल पर फोकस किया है उससे केदारनाथ के पुराने स्वरूप में आने की उम्मीद भी जगने लगी है। केदारनाथ केवल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश व विश्व के ङ्क्षहदु समुदाय की आस्था का केंद्र है। यही वजह है कि सरकार का इस ओर पूरा फोकस भी है। सरकार को केदारनाथ के पुनर्निर्माण के कार्यो में आने वाले गतिरोध को गंभीरता से निपटना होगा। इसके अलावा अब सरकार को केदारनाथ से इतर हट कर आपदा से प्रभावित अन्य स्थानों पर भी फोकस करने की जरूरत है। खतरे की जद में आने वाले गांवों के पुनर्वास की सुस्त चाल अभी चिंता का विषय बनी हुई है। इस दिशा में गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। यात्रा मार्गो पर प्रभावित बाजार अभी तक सुव्यवस्थित नहीं हो पाए हैं, सरकार को इनकी परेशानियों का समाधान भी करना होगा ताकि यात्रा सीजन के दौरान प्रभावित लोगों की आर्थिकी पर असर न पड़े और अन्य लोगों को भी फिर से रोजगार मिल सके।


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