Move to Jagran APP

कैसा है सूर्य का रथ और उससे जुड़ा मानसोत्तर पर्वत

सूर्य देव तेज के देवता हैं जिसका वहन उनका रथ करता है। क्‍या आप जानते हैं कैसा इस रथ का स्‍वरूप और उसका एक धुरा धारण करने वाला मानसोत्तर पर्वत।

By Molly SethEdited By: Published: Sat, 24 Feb 2018 03:20 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 07:00 AM (IST)
कैसा है सूर्य का रथ और उससे जुड़ा मानसोत्तर पर्वत
कैसा है सूर्य का रथ और उससे जुड़ा मानसोत्तर पर्वत

रथ का विस्‍तार

loksabha election banner

बताते हैं कि सूर्य देव के रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। इससे दुगुना इसका ईषा-दण्ड यानि जूआ और रथ के बीच का भाग है। इसका धुरा डेड़ करोड़ सात लाख योजन लम्बा है, जिसमें पहिया लगा हुआ है। इस रथ में सूर्य के पूर्वाह्न, मध्याह्न और पराह्न रूप तीन नाभि, परिवत्सर आदि पांच अरे और षड ऋतु रूप छः नेमि वाले अक्षस्वरूप संवत्सरात्मक चक्र में सम्पूर्ण कालचक्र स्थित है। सात छन्द इसके घोड़े हैं, जिनके नाम गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति हैं। इस रथ का दूसरा धुरा साढ़े पैंतालीस सहस्र योजन लम्बा है। इसके दोनों जुओं के परिमाण के तुल्य ही इसके युगार्द्धों अर्थात जूओं का परिमाण है। इनमें से छोटा धुरा उस रथ के जूए के सहित ध्रुव के आधार पर स्थित है और दूसरे धुरे का चक्र मानसोत्तर पर्वत पर स्थित है।

जानें मानसोत्तर पर्वत को 

सूर्य के धुरे को धारण करने वाले इस मानसोत्तर पर्वत के बारे में प्राचीन ग्रंथों में काफी जानकारी दी गई है। इस जानकारी के आधार पर पता चलता है पर्वत के पूर्व में इन्द्र की वस्वौकसारा स्थित है। इस पर्वत के पश्चिम में वरुण की संयमनी स्थित है। वहीं पर्वत के उत्तर में चंद्रमा की सुखा स्थित है और इसके के दक्षिण में यम की विभावरी स्थित है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.