हिंसा थमी, तनाव बरकरार
अमरनाथ यात्रा के प्रमुख आधार शिविर बालटाल में हिंसा और आगजनी का दौर तो थम गया, लेकिन तनाव बरकरार है। प्रशासन ने बालटाल में फंसे श्रद्धालुओं को कड़ी सुरक्षा में पवित्र गुफा की ओर जाने की इजाजत दी। श्रद्धालु सुरक्षा कर्मियों की शिविरों में शरण ले रहे हैं। वहीं, जम्मू संभाग में हिंसा को लेकर भारी आक्र
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। अमरनाथ यात्रा के प्रमुख आधार शिविर बालटाल में हिंसा और आगजनी का दौर तो थम गया, लेकिन तनाव बरकरार है। प्रशासन ने बालटाल में फंसे श्रद्धालुओं को कड़ी सुरक्षा में पवित्र गुफा की ओर जाने की इजाजत दी। श्रद्धालु सुरक्षा कर्मियों की शिविरों में शरण ले रहे हैं। वहीं, जम्मू संभाग में हिंसा को लेकर भारी आक्रोश दिखा। हिंदू संगठनों ने जगह-जगह मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का पुतला फूंका। जम्मू में बंद का आंशिक तो कठुआ में व्यापक असर रहा।
शुक्रवार को बालटाल में लंगर और तंबू वालों के बीच विवाद के बाद भारी हिंसा और आगजनी की वजह से यात्रा को स्थगित कर दिया गया था। शनिवार को प्रशासन ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यात्रा बहाल कर दी। बालटाल में फंसे श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पवित्र गुफा में भेजा गया। इस बीच श्रद्धालुओं की दिक्कतों में भी वृद्धि होने लगी है। अधिकांश टेंटों के जल जाने और लंगरों के बंद होने के बाद स्थानीय ढाबा और टेंट मांलिकों ने दाम बढ़ा दिए हैं। रात को आश्रय देने के एवज में कोई तीन हजार रुपये वसूल रहा है तो कोई चार हजार। इसके वाबजूद श्रद्धालुओं को पर्याप्त जगह नहीं मिल रही है। सोनमर्ग में भी होटलों में कमरे का किराया बढ़ गया है। घोड़े वालों ने भी इस बहती गंगा में हाथ धोना शुरू कर दिया है।
सीआरपीएफ, सेना और बीएसएफ एक बार फिर लोगों की मदद के लिए आगे आई है। सेना के दोमेल स्थित शिविर में 1500 और सोनमर्ग स्थित शिविर में 200 श्रद्धालुओं ने, जबकि सीआरपीएफ के शिविर में तीन हजार श्रद्धालुओं ने शरण ली है। इन शिविरों में श्रद्धालुओं को भोजन, रात को आश्रय और दवा आदि मुहैया कराई जा रही है। शनिवार को भी लगभग दो हजार से ज्यादा श्रद्धालु इन्हीं शिविरों में आए।
वहीं, हिंसा के विरोध में जम्मू संभाग में हिंदू संगठनों ने आक्रोश जाहिर किया। जम्मू, कठुआ में बंद का भी आह्वान किया था। जगह-जगह प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताते हुए निष्पक्ष जांच और उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
खौफ की कहानी, लोगों की जुबानी
भाई साहब! यह भगवान शंकर की कृपा है और फौज की हिम्मत जो हम लोगों की जान बच गई। मैं तो अपने परिवार के लोगों से भी बिछड़ गया था। लेकिन फौजियों ने हमें मिलाया और हम सभी को दोमेल स्थित अपने शिविर में जगह दी। शांतिलोक, भिवानी, हरियाणा के रहने वाले अरुण कुमार ये बातें अपनी जुबान से बोल रहे थे, लेकिन उनकी आंखों में हिंसा की भयानक तस्वीर देखी जा सकती थी। खौफ में गुजरे दिन और बचकर निकलने का साझा भाव चेहरे पर लिए अरुण ने कहा कि हम लोग पवित्र गुफा की तरफ जाने की धुन में मस्त थे। लेकिन पता नहीं कहां से लोगों को हुजूम आ गया। नारे लगाते हुए उन लोगों ने हमारे साथ मारपीट शुरू कर दी। लंगरों में घुस गए। टेंटों में सोए हुए लोगों को उठाकर पीटने लगे। हम सभी जान बचाकर भागे। हमें सेना के जवानों ने वहां से निकाला और अपने शिविर में जगह दी। हमला तो इस शिविर पर भी होने वाला था, लेकिन सेना के जवानों ने उपद्रवियों को लोहे का पुल पार नहीं करने दिया।
सिकरिया-बटाला के रहने वाले सुधीर कुमार ने कहा कि यह तो सेना के जवानों की हिम्मत थी कि उन्होंने बचा लिया और अपने शिविर में जगह दी, अन्यथा यहां कई लाशें गिरी होती। सेना के जवानों ने हमें खाना दिया, रात को आश्रय दिया। जो लोग बीमार थे, उन्हें दवा भी दी। हमारे लिए यही लोग बाबा बर्फानी के भेजे हुए फरिश्ते हैं, जिन्होंने हमें बचाया।