त्याग आने पर छोड़ दें घर
त्याग जब भी हमारे मन में आए, हमें तुलसी दास की तरह घर छोड़ देना चाहिए। त्याग को शांत होने का अवसर नहीं देना चाहिए।
इलाहाबाद। त्याग जब भी हमारे मन में आए, हमें तुलसी दास की तरह घर छोड़ देना चाहिए। त्याग को शांत होने का अवसर नहीं देना चाहिए। परेड ग्राउंड स्थित विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के पंडाल में मंगलवार को देवकीनंदन ठाकुर ने ये प्रवचन व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि यदि भगवान को पाना है तो तीन बातें जरूर याद रखें। एक रात के बाद किले में ही रहना, दूसरा स्वादिष्ट भोजन करना और तीसरा आराम दायक बिस्तर पर सोना।
इसका अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि किले मे रहने का तात्पर्य गुरु की संगत में रहने से है। गुरु की संगत से बढ़कर कोई दूसरा मजबूत किला नहीं है। इस किला के पहरेदार स्वयं भगवान है।
स्वादिष्ट भोजन करने से तात्पर्य जो भी मिले उसको खा लेना, जबकि आराम दायक बिस्तर का मतलब गद्दे का बिस्तर मिले या भूमि, हरि का नाम लेकर हर जगह सो जाए।
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