तपती धूप में 6 घंटे बैठकर साधना, बालू रेत से स्नान
42 डिग्री के तापमान की गर्मी में बालूरेत के ढेर पर बैठकर साधना करे तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है।
उज्जैन। तपती धूप में घर से बाहर निकलना मुश्किल है। ऐसे में एक संत तन पर लंगोट के सिवा कोई और वस्त्र पहने बिना 42 डिग्री के तापमान की गर्मी में बालूरेत के ढेर पर बैठकर साधना करे तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। सिंहस्थ में दत्तअखाड़ा जोन में स्वामी राधिकानंदजी चिलचिलाती धूप में भी इसी तरह रोज सूर्य साधना कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वे साधना के दौरान जलती बालूरेत से ही स्नान करते हैं।
राधिकानंदजी की इस सूर्यसाधना को देखकर श्रद्धालु बरबस ही उन्हें देखकर श्रद्धा से ठहर जाता है। इतनी तेज गर्मी में साधु-संत भी एयरकंडिशनर कुटियाओं में रह रहे हैं और यहां तो राधिकानंदजी धूप में बालूरेत के ढेर पर ऐसे सहज भाव से बैठे हों, मानों सूर्य की किरणें उन पर ठंडक बरसा रही हो। सुबह 10.30 बजे जब सूर्य अपनी तपन छोड़ने लगता है तो राधिकानंदजी का आसन बालूरेत के ढेर पर लगता है।
शाम करीब 4.30 या 5 बजे जब सूर्य की गर्मी कम होने लगती है, तब उनकी यह कठिन सूर्य साधना विराम लेती है। यह वह समय होता है जब कई साधु-संत एसी रूम में विश्राम करते हैं। राधिकानंदजी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई वीआईपी उनके यहां आ रहा है या साधारण श्रद्धालु, वे तो बस सूर्य के तेज को सहन करते हुए अपनी साधना करते रहते हैं।