40 साल का कठिन तप कर बने शंकराचार्य
शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीजी 40 साल के कठिन तप के बाद इस पदवी तक पहुंचे हैं।
उज्जैन। शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीजी 40 साल के कठिन तप के बाद इस पदवी तक पहुंचे हैं। आज उनके देश में 3 करोड़ तथा विदेश में 10 लाख अनुयायी हैं। सिंहस्थ में महाकाल के पीछे रूद्रसागर में करीब 10 हजार वर्गफीट में फैले पंडाल में शंकराचार्यजी विराजित हैं। भक्त सहज ही उनके दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं।
बाल्यकाल में घर परिवार छोड़ कर संतों के सानिध्य में आ गए। 1980 में सिंहस्थ के दौरान अपने गुरु ब्रह्मलीन शंकराचार्य शंकरानंद सरस्वतीजी से दीक्षा ली। इसके बाद 1992 के सिंहस्थ में अक्षय तृतीया पर संन्यास दीक्षा हुई। इसके तीन महीने बाद गुरु के परमधाम पहुंचने पर उन्हें शंकराचार्य की पदवी पर विराजित किया गया।
इस दौरान शिक्षा का क्रम जारी रहा। नरेंद्रानंद ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से वेद में शास्त्रीय उपाधि और संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से व्याकरण में आचार्य की उपाधि प्राप्त की है।