अष्टमी-नवमी पर कन्या पूजन व साख प्रभावित पर प्रभाव नहीं
शारदीय नवरात्र की अष्टमी की सुबह ही शुक्र तारा अस्त होने के साथ सभी शुभ कार्य करीब दो महीने के लिए थम जाएंगे। हालांकि अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन और साख प्रभावित पर तारा अस्त का प्रभाव नहीं पड़ेगा। श्रद्धालु निश्चित होकर नवरात्र समाप्ति पर रखे गए धार्मिक कार्यक्रम कर सकते हैं। महाष्टमी पर सूर्योदय के साथ ही शुक्र तारा सुबह
जम्मू। शारदीय नवरात्र की अष्टमी की सुबह ही शुक्र तारा अस्त होने के साथ सभी शुभ कार्य करीब दो महीने के लिए थम जाएंगे। हालांकि अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन और साख प्रभावित पर तारा अस्त का प्रभाव नहीं पड़ेगा। श्रद्धालु निश्चित होकर नवरात्र समाप्ति पर रखे गए धार्मिक कार्यक्रम कर सकते हैं।
महाष्टमी पर सूर्योदय के साथ ही शुक्र तारा सुबह 6.20 बजे अस्त हो जाएगा। 29 नवंबर तक सभी शुभ कार्य वर्जित हो जाएंगे। पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि तारा अस्त होने का नवरात्र के दौरान होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। श्रद्धालु नियमित तौर पर धार्मिक कार्यक्रमों में भाग व आयोजन कर सकते हैं। शास्त्री ने बताया कि दो अक्टूबर को अष्टमी दोपहर 12.08 बजे तक रहेगी। उसके बाद 12.09 बजे से नवमी शुरू हो जाएगी।
इस दौरान श्रद्धालु कन्या पूजन व साख प्रवाहित भी कर सकते हैं। नवमी 3 अक्टूबर को सुबह 9.58 तक होगी, श्रद्धालु चाहें तो इस बीच भी बहते जल में घरों में स्थापित की गई माता की साख प्रवाहित कर सकते हैं। दशमी 9.59 बजे शुरू होगी जो अगले दिन 7.58 बजे समाप्त होगी। इसी वजह से रावण दहन शुक्रवार शाम 3 अक्टूबर को ही किया जाएगा। इसी बीच तारा अस्त होने की पूर्व संध्या पर महिलाओं ने पहले ही करवाचौथ की खरीदारी शुरू कर दी ताकि गृहों का कोई कुप्रभाव न पड़े।