रात 11 बजे महाकाल मंदिर हरि-हर मिलन के लिए राजाधिराज की सवारी निकली
वैकुंठ चतुर्दशी पर मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात करीब 12 बजे गोपाल मंदिर पर हरि-हर मिलन हुआ। 'हर बाबा महाकाल ने 'हरि गोपालजी को पुन: सृष्टि का भार सौंपा। दो देवों के मिलन के इस दिव्य दृश्य को देखने के लिए गोपाल मंदिर पर हजारों भक्त मौजूद थे।
उज्जैन। वैकुंठ चतुर्दशी पर मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात करीब 12 बजे गोपाल मंदिर पर हरि-हर मिलन हुआ। 'हर बाबा महाकाल ने 'हरि गोपालजी को पुन: सृष्टि का भार सौंपा। दो देवों के मिलन के इस दिव्य दृश्य को देखने के लिए गोपाल मंदिर पर हजारों भक्त मौजूद थे।
रात 11 बजे महाकाल मंदिर हरि-हर मिलन के लिए राजाधिराज की सवारी निकली। अवंतिकानाथ रजत पालकी में सवार होकर शाही ठाठबाट के साथ गोपालजी से मिलने के लिए निकले, तो हजारों भक्त राजा के दर्शन को उमड़ पड़े। जैसे-जैसे राजा की पालकी आगे बढ़ रही थी, भक्ति का उल्लास भी बढ़ता जा रहा था। आ रही है पालकी, जय महाकाल की ...के घोष से गगन गुंजायमान हो रहा था।
चारों ओर से आतिशबाजी चल रही थी। रात करीब 11.40 बजे भगवान की पालकी गोपाल मंदिर पहुंची। यहां भगवान महाकाल व गोपालजी को सम्मुख बैठाकर पूजा-अर्चना की गई। गोपाल मंदिर के पुजारी अर्पित जोशी व श्री पाठक ने गोपालजी की ओर से महाकाल को तुलसी की माला अर्पित की, वहीं महाकाल के पुजारियों ने गोपालजी को बिल्व पत्र की माला पहनाई। करीब डेढ़ घंटे चले अभिषेक-पूजन के बाद रात करीब 2 बजे राजा की पालकी पुन: मंदिर पहुंची।
प्रतिबंध के बावजूद चले हिंगोट
प्रशासन ने सवारी में आतिशबाजी पर रोक लगाई थी। बावजूद इसके रात 10 बजे से सवारी मार्ग पर आतिशबाजी शुरू हो गई थी। गुदरी से गोपाल मंदिर तक जगह-जगह युवा राकेट व हिंगोट चला रहे थे। आतिशबाजी नहीं करने की लगातार उद्घोषणा के बावजूद हिंगोट फेंकने का सिलसिला जारी था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कुछ लोगों को मामुली चोट भी आई है।
पुलिस ने कई बार खदेड़ा
आतिशबाजी कर रहे युवकों को पुलिस ने कई बार खदेड़ा। लेकिन युवाओं के मुख्य मार्ग के आसपास गलियों में घुसने के कारण आतिशबाजी पर रोक नहीं लग पाई। गोपाल मंदिर पर हुड़दंग कर रहे युवाओं को हटाने के लिए पुसिल ने हल्का बल प्रयोग भी किया। इनके साथ पुलिस की झड़प भी हुई।