क्यों चुना गया कुरुक्षेत्र की भूमि को महाभारत युद्ध के लिए
माना जाता है कि स्थान और परिवेश के अनुसार व्यक्ति की मनोस्थिति बनती और बिगड़ती है। हम सभी जानते हैं कि महाभारत में धर्म और अधर्म की लड़ाई कुरुक्षेत्र में लड़ी गई, पर क्या आपको पता है कि इस लड़ाई के लिए कुरुक्षेत्र की भूमि को क्यों चुना गया? महाभारत
माना जाता है कि स्थान और परिवेश के अनुसार व्यक्ति की मनोस्थिति बनती और बिगड़ती है। हम सभी जानते हैं कि महाभारत में धर्म और अधर्म की लड़ाई कुरुक्षेत्र में लड़ी गई, पर क्या आपको पता है कि इस लड़ाई के लिए कुरुक्षेत्र की भूमि को क्यों चुना गया? महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र के मैदान को चुने जाने का निर्णय भगवान श्री कृष्ण जी का था। भगवान श्री कृष्ण के इस निर्णय के पीछे एक अद्भुत कहानी है।
जब महाभारत के युद्ध को टालना मुश्किल हो गया तब भगवान श्री कृष्ण के ऊपर युद्ध के लिए भूमि का चुनाव करने का जिम्मा आ गया। श्री कृष्ण एक ऐसी युद्ध भूमि चाहते थे जिसका इतिहास बहुत ही भयभीत और कठोर रहा हो। भगवान श्री कृष्ण को भय इस बात के लिए था कि कहीं युद्ध भूमि में कौरव और पांडव एक दूसरे को मरते देखकर कहीं सन्धि न कर बैठें इसलिए ऐसी भूमि युद्ध के लिए चुननी चाहिए, जहाँ क्रोध और द्वेष का इतिहास रहा हो।
श्री कृष्ण जानते थे यह युद्ध धर्म के लिए लड़ा जा रहा है जहाँ दोनों ओर अपने ही परिवार के लोग होंगे। यह युद्ध भाई-भाइयों, गुरु-शिष्य, सम्बन्धी-कुटुम्बियों के बीच का है इसलिए श्रीकृष्ण का विचार था कि योद्धाओं के मन में एक-दूसरे के प्रति कठोरता का भाव शिखर पर हो। इस विचार से श्रीकृष्ण जी ने अनेक दूतों को विभिन्न दिशाओं में भेजा ताकि वह युद्ध के लिए भयभीत और कठोर भूमि का पता लगा सकें।
वापस आने के बाद एक दूत ने सुनाया कि- एक स्थान है जहाँ बड़े भाई ने छोटे भाई को खेत की मेंड़ से बहते हुए मेघ के पानी को रोकने के लिए कहा। छोटे भाई ने बड़े भाई से एतराज जताया और उलाहना देते हुए कहा कि- आप ही क्यों नही बंद कर देते हैं? मैं आपका गुलाम नहीं हूँ। यह सुन बड़े भाई क्रोधित हुए। आवेश में आकर बड़े भाई ने छोटे भाई को छुरे से मार दिया। बड़े भाई ने क्रूरता की सारी हदे पार कर अपने छोटे भाई की लाश को घसीटते हुए उस मेंड़ के पास ले गए, और उस लाश को पैर से कुचलकर बहते पानी को रोक दिया।
यह सुनकर श्रीकृष्ण ने निश्चय किया कि यह भूमि भाई-भाई के युद्ध के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। इस स्थान का इतिहास योद्धाओं के मस्तिष्क पर हावी हो जायगा। यह स्थान कोई और नहीं कुरुक्षेत्र ही था। यही वह स्थान था जहाँ बड़े-बड़े सूर-वीरों का अंत होना था। महाभारत की इस कथा से स्पष्ट होता है कि शुभ और अशुभ विचारों एवं कर्मों के संस्कार भूमि या स्थान में देर तक समाये रहते हैं।