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शनि देव की पूजा करते समय अपनाएं ये उपाय

ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह अपने निश्चित परिधि में ही परिकर्मा करते है। ग्रह नियमानुसार गोचरवश एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं। इसी नियम का पालन शनि भी करता है। शनि जब आपके लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 01:19 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 03:04 PM (IST)
शनि देव की पूजा करते समय अपनाएं ये उपाय

ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह अपने निश्चित परिधि में ही परिकर्मा करते है। ग्रह नियमानुसार गोचरवश एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं। इसी नियम का पालन शनि भी करता है। शनि जब आपके लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुजरते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है। यह पूरा समय का चक्र साढ़े सात वर्ष का होता हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है। इस संदर्भ में एक मान्यता यह भी है कि शनि गोचर में जन्म राशि से बारहवें राशि में प्रवेश करता है तब साढ़े साती की दशा शुरू हो जाती है और जब शनि जन्म से दूसरे स्थान को पार कर जाता है तब इसकी दशा से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते है शनि की साढ़े साती के लक्षण और उपाय :

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लोगों की धारणा होती है कि यदि जीवन में कुछ दुःख, परेशानी या विपत्ति है तो इसका करण शनि ही होगा, पर ऐसा नहीं होता है। आपके जीवन में सफलता और खुशियों में बाधा आ रही है तो इसका कारण अन्य ग्रहों का कमज़ोर या नीच स्थिति में होना भी हो सकता है। आप पर शनि की साढ़े साती चल रही है अथवा नहीं पहले इस तत्व की जांच कर लें फिर शनि की साढ़े साती के प्रभाव में कमी लाने हेतु आवश्यक उपाय करें

लक्षण

शनि की साढ़े साती के समय आमतौर पर इस प्रकार की घटनाएं होती है जैसे घर का कोई भाग अचानक गिर जाता है। घर के अधिकांश सदस्य बीमार रहते हैं, घर में अचानक आग लग जाती है, आपको बार-बार अपमानित होना पड़ता है। घर की महिलाएं अक्सर बीमार रहती हैं, एक परेशानी से आप जैसे ही निकलते हैं दूसरी परेशानी आ जाती है। व्यापार एवं व्यवसाय में असफलता और नुकसान होता है। घर में मांसाहार एवं मादक पदार्थों के प्रति लोगों की रूचि बढ़ जाती है। घर में हमेशा कलह होते है। अकारण ही आपके ऊपर कलंक या इल्ज़ाम लगता है। आंख व कान में तकलीफ महसूस होती है एवं आपके घर से चप्पल-जूते गायब होने लगते हैं

उपाय

शनिदेव भगवान शंकर के भक्त हैं, भगवान शंकर की जिनके ऊपर कृपा होती है उन्हें शनि हानि नहीं पहुंचाते अत: नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व आराधना करनी चाहिए। पीपल में सभी देवताओं का निवास कहा गया है इस लिए पीपल को अर्घ्य देने अर्थात जल देने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। अनुराधा नक्षत्र में जिस दिन अमावस्या हो और शनिवार का दिन हो उस दिन आप तेल, तिल सहित विधि पूर्वक पीपल वृक्ष की पूजा करें तो शनि के कोप से आपको मुक्ति मिलती है। शनिदेव की प्रसन्नता हेतु शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए

हनुमान जी को रूद्रावतार कहा गया है। इसलिए हनुमान जी की आराधाना कर सकते हैं। आप साढ़े साती से मुक्ति हेतु शनिवार को बंदरों को केला व चना खिला सकते हैं। नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े का नाल भी शनि की साढ़े साती के कुप्रभाव से आपको बचा सकता है अगर आप इनकी अंगूठी बनवाकर धारण करते हैं। लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल ये तमाम चीज़ें शनि ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं हैं, शनिवार के दिन इन वस्तुओं का दान करने से एवं काले वस्त्र एवं काली वस्तुओं का उपयोग करने से शनि को प्रसन्नता प्राप्त होती है


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