Move to Jagran APP

मान्यता है कि वसंत पंचमी को ऐसा करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी

वसंत पंचमी पर्व पर मां सरस्वती और भगवान विष्णु की पूजा जीवन में शुभ करती है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है और इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत बिना पंचांग के भी की जा सकती है। वसंत पंचमी पर विद्या का दान करना आपको सौभाग्य

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 11:04 AM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 04:38 PM (IST)
मान्यता है कि वसंत पंचमी को ऐसा करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी

वसंत पंचमी पर्व पर मां सरस्वती और भगवान विष्णु की पूजा जीवन में शुभ करती है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है और इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत बिना पंचांग के भी की जा सकती है। वसंत पंचमी पर विद्या का दान करना आपको सौभाग्य प्रदान करता है।

loksabha election banner

भारत में पूरे साल को वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत इन छह ऋतुओ में बांटा गया है। इन सभी में वसंत सबसे प्रिय और विशेष है। वसंत के आगमन की सूचना मात्र से ही फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों चमकने लगती है, जौ और गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं, आम के पेड़ों पर बौर आ जाता है और हर तरफ प्रसन्नता व्याप्त हो जाती है।

वसंत जीवन में उत्सव के आगमन की सूचना है। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवे दिन वसंत पंचमी मनाई जाती है। वसंत पंचमी के इस शुभ दिन अनेक शुभ आयोजन रचे जाते हैं और ऐसा माना जाता है कि यह शुभ तिथि जीवन में शुभ और सौभाग्य लाती है।

इस दिन मां सरस्वती, भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा होती है। शास्त्रों में वर्णन है कि भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना कर दी। उसके बाद जब उन्होंने चारों तरफ दृष्टि की तो पाया कि सबकुछ बहुत सुनसान है। संपूर्ण वातावरण मूक है जैसे वाणी का ही अभाव हो। तब उन्होंने मां सरस्वती की उत्पत्ति की। मां सरस्वती की कृपा से समूची सृष्टि को वाणी प्राप्त हुई। उदासी और निर्जनता दूर हुई। तभी से यह दिन मां सरस्वती के पूजन का दिन बन गया।

समस्त नर-नारी मां सरस्वती की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन उनका पूजन करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार वसंत पंचमी पर मां सरस्वती के मंदिर में विद्यादान करना पुण्यदायी है। सरस्वती मंदिरों में धर्मशास्त्र की पुस्तकों का दान किया जाना चाहिए। विद्यालय और अध्ययन केंद्र सरस्वती के मंदिर होते हैं। अगर लोग चाहें तो स्वेच्छा से ऐसे स्थलों पर जाकर लेखन-पठन सामग्री का विद्यार्थियों के मध्य वितरण कर इस पर्व को अपने लिए विशेष बना सकते हैं। दूसरों के जीवन में वसंत खिलाना भी वसंत का एक अर्थ है।

वसंत पंचमी को कामदेव की और भगवान विष्णु का पूजन का भी किया जाता है। इस दिन के महात्म्य के साथ यह कथा भी जुड़ी है कि इसी दिन भगवान राम मां शबरी के आश्रम आए थे। राम के साथ भी इस दिन का संबंध है।

वेद में कहा गया है कि 'वसंते ब्राह्मण मुपनयीत।' अर्थात वेद अध्ययन का भी यही समय है। किसी भी तरह के अध्ययन के प्रारंभ के लिए इसे उपयुक्त दिन माना गया है। इस दिन प्रात:काल तेल-उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए।

इसके बाद पितृ-तर्पण और ब्राह्मण भोजन का भी विधान है। वसंत पंचमी पर मंदिरों में भगवान की प्रतिमा का वासंती वस्त्रों और पुष्पों से श्रंगार किया जाता है तथा महोत्सव मनाया जाता है। यह ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता हैं। इसीलिए ब्रजप्रदेश में राधा तथा कृष्ण का आनंद-विनोद बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन लोग पंचाग देखे बिना ही शुभ कार्यों की शुरुआत करते हैं। लोक प्रसिद्ध मुहूर्तों में वसंत पंचमी का पर्व आता है।

यह स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। यह प्रत्येक शुभ कार्य में बड़ी ही श्रद्धा के साथ अपनाया जाता है। लोग अशुभ के बारे में चिंता किए बिना इस दिन बगैर पंचांग शुद्धि के ही शुभ कार्यों का आरंभ करते हैं। विवाह आदि समस्त मांगलिक कार्य वसंत-पंचमी के दिन करना शुभ एवं सिद्धिप्रद होता है। नवीन कार्य के लिए यह श्रेष्ठ दिन है।

नवीन कार्यों के लिए शुभ दिन

वसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। इस दिन विद्यारंभ, नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह प्रवेश आदि आयोजन किए जाते हैं। वसंत पंचमी को अत्यंत शुभ मुहूर्त मानने के पीछे अनेक कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण तो यही है कि यह पर्व अधिकतर माघ मास में ही पड़ता है। माघ मास का धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस माह में पवित्र तीर्थों के जल में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। दूसरे इस समय सूर्यदेव भी उत्तरायण होते हैं और जीवन में उत्साह जगाते हैं। इन संयोगों के कारण वसंत पंचमी की तिथि अत्यधिक शुभ हो जाती है।

इस तरह कराएं अक्षराभ्यास

वसंत पंचमी के दिन बच्चों को अक्षराभ्यास कराया जाता है। तात्पर्य यह कि विद्या अध्ययन प्रारम्भ करने से पहले बच्चों के हाथ से अक्षर लिखना प्रारम्भ कराना। इसके लिए माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर बैठें। बच्चे के हाथ से प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान को पुष्प समर्पित करवावें और स्वस्तिवाचन इत्यादि के साथ बच्चे को अक्षराभ्यास करवाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी।

पीले रंग का विशेष महत्व

वसंत में सरसों की फसल से धरती पीली नजर आती है। इसे ध्यान में रखकर लोग इस दिन पीले वस्त पहनते हैं। चूंकि पीला रंग उत्साह और उमंग का रंग है इसलिए भी वसंत के साथ वह जुड़ गया है। ऋतुओं की इस संधि पर ठंडे दिनों की समाप्ति होती है और मौसम की यह करवट आने वाले समय को खुशनुमा बना देती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.