गुरुवार को ऐसा करने से कोई भी काम हो सफलता जरुर मिलेगी
गुरुवार के दिन चमेली के पुष्प, गूलर, दमयंती, मुलहठी और शहद मिश्रित जल से स्नान करने पर गुरु के अशुभ प्रभाव कम होकर समस्त पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।
भगवान बृहस्पति सभी देवताओं के गुरू हैं, कैसी भी समस्या हो ये सभी का समाधान करते हैं । गुरुवार को कुछ ऐसे उपाय करें जिससे आपको अपने काम में सफलता जरुर मिलेगी, क्योंकि गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु ब्रहस्पति देव का होता है। हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है। जिसमें विभिन्न परंपराए, रीति-रिवाज के साथ हर उत्सव, त्योहार मनाया जाता है। जिसके बारें में जितना जानों वो कम पड़ जाता है।
हिंदू धर्म में हर एक चीज का बहुत ही अधिक महत्व है। इसी महत्व में पेड-पोधौ का नाम भी आता है। माना जाता हैै कि इनकी रक्षा करना हमरा धर्म और कर्तव्य है। इनको घर में लगाने से सुख-शांति, वास्तु शास्त्र के अनुसार नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश न कर पाना आदि। अगर आपके घर में पेड पौधे है तो आपके घर कभी भी दुख रुख नहीं करेगा। बृहस्पति देव की पूजा में मुख्य रुप से केला के पेड की पूजा भी की जाती है। इनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। जानिए क्यों?
केला को ब्रहस्पति ग्रह का माना जाता है। भगवान गुरु की पूजा करने से गुरु ग्रह ठीक हो जाता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को केला का भोग लगाने से उनकी कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है। गुरुवार के दिन केले का दान करना लाभदायी होता है। साथ ही इसके पत्तों को भगवान सत्यनारायण की पूजा करते समय इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कि वो नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश न कर पाएं। साथ ही इसके पत्तों में भोजन करने से आपको कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इसकी पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है।
गुरुवार का दिन गुरु दोष शांति व गुरु की प्रसन्नता के लिए विशेष दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि गुरु बृहस्पति, देवगुरु हैं। ज्योतिष मान्यताओं में भी गुरु सुखद दाम्पत्य जीवन व सौभाग्य को नियत करते हैं। खासकर स्त्री के विवाह और पुरुष की आजीविका की परेशानी गुरु की प्रसन्नता से दूर हो जाती है। गुरुवार के दिन व्रत रखें, जिसमें पीले वस्त्र पहने व बिना नमक का पीला भोजन का संकल्प लें। गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या तस्वीर पीले वस्त्र पर विराजित कर पंचोपचार पूजा केसरिया चंदन, पीले अक्षत, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें। नीचे लिखे सरल गुरु मंत्र का ध्यान सुख-सौभाग्य की कामना से करें-
ॐ बृं बृहस्पते नम:
बृहस्पति मंगल मंत्र-
जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:
पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।
सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे
सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।
पूजा व मंत्र जप के बाद गुरु आरती करें और क्षमाप्रार्थना के साथ प्रसाद ग्रहण करें। गुरु दोष शांति के लिए पीली वस्तुओं जैसे गुड़,चने की दाल, केले, पीले फूल, चन्दन या पीले वस्त्र, हल्दी, पीले रंग की मिठाई और गाय का घी का दान करें। सोने का दान भी बहुत शुभ है।यथासंभव ब्राह्मण को भोजन कराएं। माना जाता है कि गुरु की ऐसी पूजा धन, संपत्ति, विवाह और सौभाग्य की कामना शीघ्र पूरी करती है।
गुरुवार के दिन बृहस्पति देव का पूजन किया जाता है। बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। वे धन समृद्धि, पुत्र प्राप्ति और शिक्षा के दाता है। उन्हें पीली वस्तुएं बेहद प्रिय है। देवगुरु शील और धर्म के अवतार हैं।
गुरुवार का व्रत करने वाले व्रतधारियों को केले के वृक्ष का पूजन करना चाहिए तथा पूजा के बाद बृहस्पति की कथा सुननी एवं आरती करनी चाहिए। उनकी नियमित पूजा-अर्चना से भक्त के अंदर आध्यात्मिक शक्ति का उदय होता है।
अगर किसी जातक का विवाह न हो रहा हो तो गुरुवार का व्रत करने से विवाह शीघ्र ही निश्चित होता है। इस विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए देवगुरु बृहस्पति के समक्ष गाय के घी का दीपक जलाना उचित रहता है।
देवगुरु बृहस्पति को पीले फूल चढ़ाकर, पीली मिठाई का भोग लगाया जाता है। जिनमें पीले फूल, पीले चावल, पीला चंदन, पीली मिठाई, गुड़, मक्के का आटा, चना दाल आदि का भोग लगाया जाता है। माथे पर हल्दी का तिलक लगाकर निम्न मंत्र का जाप हल्दी गांठ की माला से करना लाभदायी होता है।
मंत्र - ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः।
अगर अविवाहित युवती शुक्ल पक्ष से प्रति 11 गुरुवार तक नहाने के जल में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर स्नान करें, तो उसकी शादी जल्दी होने की संभावना बनती है। ग्यारह गुरुवार तक केवांच की जड़ (Kevanch) पीस कर माथे पर लगाने से नींद न आने की शिकायत दूर हो जाती है। खासतौर पर महिलाएं गुरुवार के दिन हल्दी मिश्रित उबटन बनाकर अपने शरीर पर लगाएं तो पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है। गुरुवार के दिन गाय का घी, शहद, हल्दी, पीले कपड़े, किताबें, गरीब कन्याओं को भोजन का दान किया जाना उचित रहता है। साथ ही इस दिन गुरुओं की सेवा करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते है।
गुरुवार के दिन चमेली के पुष्प, गूलर, दमयंती, मुलहठी और शहद मिश्रित जल से स्नान करने पर गुरु के अशुभ प्रभाव कम होकर समस्त पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।