इस बार पड़ेंगे चार सोमवार , जप से दूर होगी साढ़े साती
भगवान आशुतोष को प्रिय मास सावन इस बार एक अगस्त से शुरू हो रहा है जिसका 29 अगस्त को समापन होगा। इस माह में भगवान शिव के पूजन- अर्चन का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इसमें भी खासकर सोमवार और प्रदोष व मंगलवार की विशेष मान्यता है। हालांकि
वाराणसी । भगवान आशुतोष को प्रिय मास सावन इस बार एक अगस्त से शुरू हो रहा है जिसका 29 अगस्त को समापन होगा। इस माह में भगवान शिव के पूजन- अर्चन का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इसमें भी खासकर सोमवार और प्रदोष व मंगलवार की विशेष मान्यता है। हालांकि सावन की शुरुआत शनिवार से हो रही है, समाप्ति भी शनिवार से, इस तरह से इस माह में पांच शनिवार पड़ रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार जो भक्त भगवान शिव की पूजा नियमित न कर सकें, प्रति सोमवार व प्रदोष व्रत रखकर महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनका पार्थिव लिंग बनाकर विधिवत पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन, बिल्वार्चन, अक्षतार्चन व सामथ्र्य अनुसार रुद्राभिषेक कर सकते हैं। सावन में हर मंगलवार को सौभाग्यवती स्त्रियों को व्रत रखकर मंगला गौरी या माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। मंगला गौरी के व्रत का संकल्प लेकर एक वर्ष तक विधि पूर्वक व्रत पूजन कर उद्यापन करने से सौभाग्य वृद्धि होती है। कुंआरी कन्या को उचित वर की प्राप्ति होती है।
शास्त्र सम्मत है कि जो मनुष्य श्रवण में मास र्पयत एक समय भोजन करने और भगवान का अभिषेक करते हैं उन्हें वंश तथा जाति की वृद्धि होती है। इस माह में दूध-घी व गाय का दान करने से भगवान शिव व विष्णु दोनों प्रसन्न होते हैं। ज्योतिषी दृष्टि से इस बार का सावन अपने आप में विशेष है।
इस बार सावन में 11 अगस्त को भौम प्रदोष पड़ रहा है, इस दिन रुद्राभिषेक कर मंगला गौरी का दर्शन करने से ऋण से छुटकारा मिलता है। इस मास में चातरुमासीय व्रती को साग खाना वर्जित है। मास र्पयत काशी विश्वनाथ को नित्य बेल पत्र अर्पण कर नैनित्यिक पार्थिव वाचन करना चाहिए। प्रत्येक मंगलवार को व्रत कर दुर्गा यात्र, गौरी पूजा व हनुमान जी के दर्शन का भी विधान है। देखा जाए तो श्रवण में सोमवार तीन अगस्त, दस, 17 व 24 अगस्त को है। पांच शनिवार एक, आठ, 15, 22 व 29 अगस्त को पड़ेगा।