शनि के इस मंत्र के प्रभाव से घर-परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है
शनिवार या हर रोज इस मंत्र जप के पहले शनिदेव की पूजा करें। गंध, अक्षत, फूल, तिल का तेल चढ़ाएं। पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें या शनिदेव को तेल चढ़ाते हुए इस मंत्र को बोलें।
शास्त्रों में शनि की प्रसन्नता के लिए ऐसा ही एक मंत्र बताया गया है। इसके प्रभाव से घर-परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। वहीं जीवन का कठिन या तंगहाली का दौर भी आसानी से कट जाता है। शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव का स्वभाव क्रूर है। शनि की टेढ़ी चाल और नजर से जीवन में उथल-पुथल मच जाती है। इसलिए अक्सर यह देखा भी जाता है कि शनि की दशा ज्ञात होने पर व्यक्ति व्यर्थ परेशानियों से बचने के लिए शनि की शांति के उपाय अपनाते हैं।
शनि के स्वभाव का दूसरा पहलू यह भी है कि शनि के शुभ प्रभाव से रंक भी राजा बन सकता है। शनि को तकदीर बदलने वाला भी माना गया है। इसलिए अगर सुख के दिनों में भी शनि भक्ति की जाए तो उसके शुभ फल से सुख-समृद्धि बनी रहती है। शनिवार या हर रोज इस मंत्र जप के पहले शनिदेव की पूजा करें। गंध, अक्षत, फूल, तिल का तेल चढ़ाएं। तेल से बने पकवान का भोग लगाएं। पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें या शनिदेव को तेल चढ़ाते हुए इस मंत्र को बोलें -
ऊँ नमो भगवते शनिश्चराय सूर्य पुत्राय नम:
- पूजा व मंत्र जप के बाद शनि की आरती करें। शनि से संबंधित वस्तुओं जैसे काली उड़द या लोहे की सामग्री का दान करें। शास्त्रों के मुताबिक शनि देव की कृपा या कोप सांसारिक जीवन में आजीविका, नौकरी, कारोबार, सेहत या संबंधों को बेहतर या बदतर बनाने वाला साबित हो सकता है। ज्योतिष शास्त्रों में भी किसी व्यक्ति की कुण्डली में शनि की कमजोरी दरिद्रता, अभाव या पीड़ा देने वाली मानी गई है।
शनि के ऐसे अशुभ प्रभावों व नतीजों से बचने के लिए शास्त्रों में शनि पूजा, व्रत और मंत्र जप द्वारा शनि उपासना का महत्व बताया गया है। हर शनि पूजा के अंत में एक संकटमोचक शनि मंत्र को बोलना तमाम परेशानियों व दु:खों से मुक्ति की कामना को जल्द सिद्ध करने वाला माना गया है। इसके बिना शनि पूजा अधूरी भी मानी गई है।
संकटमोचक शनि मंत्र-
ॐ सूर्यपुत्रों दीर्घदेहोविशालाक्ष: शिवप्रिय:।
मन्दचार प्रसन्नात्मा पीड़ा दहतु मे शनि:।।