इस बार मकर संक्रांति का है ये शुभ मुहूर्त, इस मंत्र के जाप के साथ करें सूर्य की उपासना
इस दिन सुबह गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर कमर तक जल के बीच में खड़े हो सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
मकर संक्रांति का पर्व इस साल 14 जनवरी शनिवार को मनाया जाएगा। पांच साल बाद मकर संक्रांति का बहुत शुभ योग आया है। 2013 में मकर संक्रांति का इस तरह का योग आया था। उस समय भी दिन के दो बजे से मकर संक्रांति का पुण्यकाल प्रारंभ हुआ था। इस साल भी वैसा ही योग बन रहा है।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त: इस साल 14 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर बाद 1.56 बजे से मकर संक्रांति का पुण्यकाल प्रारंभ हो रहा है तथा शाम 5.17 बजे तक पुण्यकाल रहेगा। यानी मात्र तीन घंटा उन्नीस मिनट ही संक्रांति जन्य पुण्यकाल रहेगा। बताया कि इस अवधि के मध्य ही स्नान-दान समेत अन्य कार्य करना श्रेयस्कर होगा।इस दिन भारत के विभिन्न हिस्सो में तिल के लड्डू बनाएं जाते तो कई जगह खिचड़ी खाई जाती है। लोग इस तिल और लाई का दान भी करते है।
क्या है मान्यता: मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। इसके अलावा भीष्म पितामह ने भी अपना देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के पावन दिन का ही चयन किया था।
तैयारी में जुटे लोग: मकर संक्रांति की तैयारी में लोग जोरशोर से जुट गये हैं। अभी से चूड़ा-दही की व्यवस्था में लोग लग गये हैं। वहीं मकर संक्रांति को ले बाजारों में चहल-पहल भी बढ़ गई है। चौक-चौराहों पर नई-नई दुकानें भी सज गई है। बता दें कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है।
दान, स्नान और उपासना का पर्व है संक्रांति
दान, स्नान और उपासना का पर्व है संक्रांति। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर अपनी उत्तरायण गति आरंभ करते हैं। संक्रांति को उत्तरायणी के नाम से भी पुकारा जाता है। खासकर प्रयाग में संगम तट पर इस दिन विशेष तौर पर स्नान किया जाता है। इस दिन सूर्य की उपासना शुभ फल देती है।
सूर्योपनिषद के अनुसार सभी देव, ऋषि-मुनि सूर्य की रश्मियों में निवास करते हैं। मकर संक्रांति के दिन विशेष विधान से सूर्यदेव की आराधना करनी चाहिए। इस दिन सुबह गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर कमर तक जल के बीच में खड़े हो सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
मंत्र का जाप
ध्यान रखें कि अर्घ्य तांबे के लोटे में दें। पात्र को दोनों हाथों से पकड़ कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य के समय सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, जो इस प्रकार है- ऊं आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।