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इस तरह होली दिन अवश्‍य करें ये आघ्‍यात्मिक उपाय, जिंदगी में मनहूसियत कभी नहीं आएगी

यदि आप घर से बाहर जा कर होली नहीं खेलना चाहते हैं तो कोई बात नहीं घर के भीतर ही होली खेल सकते हैं, लेकिन खेलिए जरूर, इससे जीवन की नीरसता दूर होती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 04 Mar 2017 10:46 AM (IST)Updated: Mon, 06 Mar 2017 10:56 AM (IST)
इस तरह होली दिन अवश्‍य करें ये आघ्‍यात्मिक उपाय, जिंदगी में मनहूसियत कभी नहीं आएगी
इस तरह होली दिन अवश्‍य करें ये आघ्‍यात्मिक उपाय, जिंदगी में मनहूसियत कभी नहीं आएगी

 जीवन में उमंग, आशा, उत्साह आदि के संचार के लिए और नए मौसम के दुष्प्रभाव से बचाव के लिए इन दिनों लोग पानी, रंग, अच्छे खान-पान, गीत-संगीत आदि का आनंद उठाते हैं। होलिका में स्वांग रचने की परंपरा है। 

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फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा पर आप एक – दूसरे को रंग – गुलाल आदि लगाते हैं। इस अवसर पर रंग या गुलाल का इस्तेमाल कलर थैरेपी का काम करता है, जिससे शरीर की विभिन्न कष्टों से रक्षा होती है। इस दिन लोग धूल-क्रीड़ा करते हैं। शहरों में यह कम, किंतु गांवों में जोर-शोर से होती है। इस समय धूल का यह खेल ऋतु परिवर्तन के कारण होने वाले कष्ट से शरीर की रक्षा के उद्देश्य से खेला जाता है।
गर्ग संहिता के अनुसार, सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण राधाजी के विशेष आग्रह पर होली खेलने के लिए गए। भगवान को इस समय मजाक करने तथा वातावरण को हास्यप्रद बनाने की सूझी, इसलिए वह स्त्री वेश धारण कर राधाजी से मिलने गए। राधाजी को जब पता चला, तो उन्होंने भगवान को कोड़े लगाए।
कहा जाता है कि इसी कारण लट्ठ मार होली की परंपरा शुरू हुई। लट्ठामार होली कान्हा की नगरी ब्रज में होती है। ऐसे में दुनिया भर के होली प्रेमी ब्रज के गांवों का कूच करते हैं। होली का उत्सव क्रमश: बरसाना, मथुरा, वृंदावन, गोकुल और नंदगांव में संमन्न होता है।
प्राचीन परंपराओं के अनुसार। यह मान्यताएं। सबसे पहली बात यह है कि जिस समय होली जलाई जाए तो उसमे जरुर सम्मिलित हों, यदि किसी कारण आप रात में होलीं जलाने के वक्त शामिल न हो पायें तो अगले दिन सुबह सूरज निकलने से पहले जलती हुई होली के निकट जाकर तीन परिक्रमा करें। होली में अनाज की बालियाँ आदि जरुर डालें। परिवार के सभी सदस्यों के पैर के अंगूठे से लेकर हाथ को सिर से ऊपर पूरा ऊँचा करके कच्चा सूत नाप कर होली में डालना भी जीवन में शुभता लाता है।
होली की विभूति यानि भस्म घर लायें पुरुष को इस भस्म को मस्तक पर और महिला अपने गले में लगाना चाहिए, इससे एश्वर्य बढ़ता है। दूसरे दिन होली खेलने की शुरुआत सुबह सुबह सबसे पहले भगवान को रंग चढ़ा कर ही करनी चाहिए। रंग जरुर खेले इस दिन रंग खेलने से मनहूसियत दूर भाग जाती है और जीवन में खुशियों के रंग आते है। यदि आप घर से बाहर जा कर होली नहीं खेलना चाहते हैं तो कोई बात नहीं घर के भीतर ही होली खेल सकते हैं, लेकिन खेलिए जरूर, इससे जीवन की नीरसता दूर होती है।
होली के दिन मन में किसी के प्रति शत्रुता का भाव न रखें, इससे साल भर आप शत्रुओं पर विजयी होते रहेंगे। घर आने वाले मेहमानों को सौंफ और मिश्री जरुर खिलायें, इससे प्रेम भाव बढ़ता है। तो आशा है आप भी इस प्रकार के परम्परागत तरीकों को अपना कर अपनी होली को शुभ बनाएंगे।

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