देवगुरु बृहस्पति के तंत्रोक्त मंत्र ना सिर्फ धन और वैभव की दृष्टि से चमत्कारी है बल्कि तुरंत असर करने वाले हैं। जरूरत है इन्हें एक साथ निरंतर जपने की। इन चमत्कारी पांचों मंत्रों की जप संख्या 19 हजार है। आप किसी भी एक गुरु मंत्र का गुरुवार को जाप कर सकते है । सूर्य के बाद सबसे विशाल ग्रह भी बृहस्पति ही है। देवपूज्य बृहस्पति या गुरु दार्शनिक, आध्यात्मिक ज्ञान को निर्देशित करने वाला उत्तम ग्रह माना गया है। देवगुरु बृहस्पति के तंत्रोक्त मंत्र ना सिर्फ धन और वैभव की दृष्टि से चमत्कारी है बल्कि हर तरह से महत्वपूर्ण है। बृहस्पतिवार को देवगुरु बृहस्पति के विशेष मंत्र ध्यान के शुभ प्रभाव से ज्ञान, बुद्धि, सुख-सौभाग्य, वैभव व मनचाही कामयाबी पाना आसान हो जाता है।
बृहस्पति देव की चार भुजाएं हैं, तीन भुजाओं में दण्ड, रुद्राक्ष की माला और कमण्डलु तथा चौथी भुजा वरमुद्रा में है। बृहस्पति की प्रतिमा पीले रंग की होनी चाहिए। हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन गुरु दोष शांति व गुरु की प्रसन्नता के लिए विशेष दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि गुरु बृहस्पति, देवगुरु हैं। ज्योतिष मान्यताओं में भी गुरु सुखद दाम्पत्य जीवन व सौभाग्य को नियत करते हैं। खासकर स्त्री के विवाह और पुरुष की आजीविका की परेशानी गुरु की प्रसन्नता से दूर हो जाती है।
देवगुरु बृहस्पति (गुरु) धनु और मीन राशियों का स्वामी ग्रह है। सामान्यत: गुरु शुभ फल देता है किंतु पापी ग्रह यदि उसके साथ विराजमान हो जाए अथवा गुरु अपनी नीच राशि में स्थित हो तो यही गुरु जातक के लिए अनिष्टकारी हो जाता है अर्थात् अशुभ फल देने लगता है जिससे जातक आर्थिक, मानसिक, शारीरिक एवं पारिवारिक रूप से परेशान हो जाता है, तो आप गुरु भगवान का एन सरल मंत्र से जाप कर जल्द मनचाही नौकरी व जीवनसाथी की मुराद हो जाएगी। जानिए किन मंत्रो से ब्रहस्पति भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है।
यदि आप गुरु के अनिष्टकारी प्रभाव से आप परेशान हैं तो बृहस्पति का मूल मंत्र और शांति पाठ आपके लिए कल्याणकारी हो सकता है। इसके लिए यह मंत्र करे-
ऊं बृं बृहस्पतये नम:
बृहस्पति को शान्त करने के लिए करे शांति पाठ
गुरु ज्ञान, प्रतिभा, वैभव, लक्ष्मी और सम्मान के प्रदाता हैं। ग्रह रूप में इनकी प्रतिकूल दृष्टि होने पर मनुष्य धन-संपत्ति आदि से हीन होकर बहुत दुख भोगता है। इनकी आराधना एवं पूजा से सभी प्रकार का सुख एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
इन मंत्रों का जाप कर पाए सुख-समृद्धि
ऊं अस्य बृहस्पति नम: (शिरसि)
ऊं अनुष्टुप छन्दसे नम: (मुखे)
ऊं सुराचार्यो देवतायै नम: (हृदि)
ऊं बृं बीजाय नम: (गुहये)
ऊं शक्तये नम: (पादयो:)
ऊं विनियोगाय नम: (सर्वांगे)
करन्यास मंत्र
ऊं ब्रां- अंगुष्ठाभ्यां नम:।
ऊं ब्रीं- तर्जनीभ्यां नम:।
ऊं ब्रूं- मध्यमाभ्यां नम:।
ऊं ब्रैं- अनामिकाभ्यां नम:।
ऊं ब्रौं- कनिष्ठिकाभ्यां नम:।
ऊं ब्र:- करतल कर पृष्ठाभ्यां नम:करन्यास के बाद नीचे लिखे मंत्रों का उच्चारण करते हुए हृदयादिन्यास करना चाहिए-
ऊं ब्रां- हृदयाय नम:।
ऊं ब्रीं- शिरसे स्वाहा।
ऊं ब्रूं- शिखायैवषट्।
ऊं ब्रैं कवचाय् हुम।
ऊं ब्रौं- नेत्रत्रयाय वौषट्।
ऊं ब्र:- अस्त्राय फट्।
रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।
इन मंत्रो का जाप करने से गुरु ग्रह दोष खत्म हो जाएगा। साथ ही आपकी हर समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
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