चमत्कारी शनि स्तोत्र के जाप करने से दूर होंती हैं कई परेशानियां
अगर आप शनि दशा से गुजर रहे हैं तो प्रति शनिवार ‘शनि स्तवराज’ का पाठ करें। यह पाठ शनि देव के प्रकोप को शांत करता, साढ़ेसाती या ढैय्या जैसी दशा में इस पाठ से कष्ट की अनुभूति नहीं होती है
मान्यता है कि शनि बुरे कर्म के मुताबिक दण्ड देने वाले देवता हैं, इसलिए जाने-अनजाने हुए कर्मदोषों से मुक्ति, सद्गति और शनि की प्रसन्नता के लिए शनिवार को शनि उपासना बहुत ही मंगलकारी मानी जाती है।
इसके लिए पुराणों में तपोबली व सिद्ध मुनि पिप्पलाद द्वारा शनि पीड़ा से रक्षा के लिए रचा गया शनि स्त्रोत शनि की साढ़े साती, महादशा और ढैय्या में बुरे प्रभाव से रक्षा करने वाला माना गया है। जानिए यह शनि स्त्रोत व पूजा के आसान उपाय-
- शनिवार को सुबह और शाम शनिदेव को स्नान के बाद तिल का तेल चढ़ाकर विशेष तौर पर काली पूजा सामग्रियों, जिनमें गंध, अक्षत के अलावा काले तिल, काले फूल, काले वस्त्र शामिल हो अर्पित करें। तेल से बनी मिठाई का भोग लगाएं और नीचे लिखे शनि स्तोत्र का पाठ संकट व पीड़ा मुक्ति व सुख-समृद्धि की कामना से करें-
नमस्ते कोणसंस्थय पिङ्गलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते यमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते।
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
- अंत में शनि की धूप व दीप आरती कर जीवन में मन, वचन व कर्म से हुई त्रुटियों की क्षमा मांग प्रसाद ग्रहण करें।जाने-अनजाने में हुए पाप-कर्म एवं अपराधों के लिए शनिदेव से क्षमा याचना करें।
साढ़ेसाती में लाभ : शनि स्त्रोत, शनि मंत्र, शनि वज्रपिंजर कवच तथा महाकाल शनि मृत्युंजय स्त्रोत का पाठ करने से जिन जातकों को शनि की साढ़ेसाती व ढैया चल रहा है, उन्हें मानसिक शांति, कवच की प्राप्ति तथा सुरक्षा के साथ भाग्य उन्नति का लाभ होता है। सामान्य जातक जिन्हें ढैया अथवा साढ़ेसाती नहीं है, वे शनि कृपा प्राप्ति के लिए अपंग आश्रम में भोजन तथा चिकित्सालय में रुग्णों को ब्रेड व बिस्किट बांट सकते हैं।
शनि के निम्न मंत्र का 21 दिन में 23 हजार जप करें –
– ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
पौराणिक शनि मंत्र :
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
टोटका – शनिवार के दिन उड़द, तिल, तेल, गु़ड का लड्डू बना लें और जहां हल न चला हो वहां गाड़ दें।
जीवन में सुख-शांति दिलाएं शनि स्तवराज का पाठ
अगर आप शनि दशा से गुजर रहे हैं या गुजरने वाले हैं तो प्रति शनिवार ‘शनि स्तवराज’ का पाठ अवश्य करें। यह पाठ शनि देव के प्रकोप को शांत करता है और साढ़ेसाती या ढैय्या जैसी दशा के समय इस पाठ से कष्ट की अनुभूति नहीं होती है, बल्कि शनिदेव की प्रसन्नता और कृपा प्राप्त होती है। हर शनिवार के दिन अथवा शनि जयंती को इस पाठ को पढ़ने से जीवन में सुख-शांति मिलती है।