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शनि के लिए घोड़े के नॉल की अंगुठी ही क्यों?

कुछ लोग हमेशा परेशानियों से घिरे होते है, उनके घर में हमेशा अशांति बनी रहती है। घर के सदस्य अक्सर बीमार रहते है, जीवनसाथी से नही बनती। परिवार में ऐसा ही कुछ नकारात्मक वातावरण हमेशा बना रहता है तो ऐसा माना जाता है कि शनि के अशुभ प्रभाव पड़ रहा

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 11:25 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 12:03 PM (IST)
शनि के लिए घोड़े के नॉल की अंगुठी ही क्यों?

कुछ लोग हमेशा परेशानियों से घिरे होते है, उनके घर में हमेशा अशांति बनी रहती है। घर के सदस्य अक्सर बीमार रहते है, जीवनसाथी से नही बनती। परिवार में ऐसा ही कुछ नकारात्मक वातावरण हमेशा बना रहता है तो ऐसा माना जाता है कि शनि के अशुभ प्रभाव पड़ रहा है और भी कुछ छोटी छोटी बातें हैं जो शनि के अशुभ होने पर होती है।

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दिनों दिन ऋण, लोन, उधार बढ़ता जाए तो समझे शनि अशुभ है। शनि को न्याय का देव माना गया है। सभी राशि वालों पर शनि देव का शुभ और अशुभ प्रभाव रहता है। वैसे तो शनि के शुभ और अशुभ प्रभावों के लिए कई प्रयोग

और उपाय किए जाते है लेकिन सबसे अधिक प्रचलित और करगर उपाय माना जाता है काले घोड़े की नॉल की अंगुठी।

दरअसल इस परंपरा के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि काले घोड़े को शनि का रूप माना गया है और शरीर पर शनि का विशेष प्रभाव पैरों पर होता है। इसलिए शनि देव की मेहनत करने वालों पर विशेष कृपा रहती है और घोड़ा सबसे ज्यादा मेहनत अपने पैरों से करता है इसलिए उसके नॉल की अंगुठी धारण करने से शनि का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है ऐसी मन्यता है।शनि मुद्रिका से पहुंचता है लाभ, ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह अनुसार काले घोड़े के खुर की नाल की अभिमंत्रित अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करनी चाहिए।

कैसे करे शनि-दोष निवारण-

शनि शांति के उपाय, शनिदेव को शांत करने के लिए दान और पूजन का विधान है। शनि की अनिष्टता निवारण के लिए शनिवार को शनिदेव के मंदिर में तेल चढ़ाएं व दान करें। इसके अलावा काले तिल, काली उड़द, लोहा, काले वस्त्र, काली कंबल, छाता, चमड़े के जूते, काली वस्तुएं आदि। शनिदेव के मंदिर के बाहर पुराने जूते और वस्त्रों का त्याग करना भी फायदा देता है।

इसके अलावा शनिदेव का व्रत रखने से भी शनि प्रसन्न होते हैं। शनि की अनिष्टता निवारण के लिए शनिवार को एकाशना करनी चाहिए। अगर व्रत न कर सकें तो मांसाहार व मदिरापान नहीं करना चाहिए और संयमपूर्वक प्रभु स्मरण करना चाहिए।

शनिदोष से पीड़ित जातकों को भगवान् शिव, सूर्य, हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए। भगवान शिव, सूर्य व हनुमान की आराधना करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और शनि की पीड़ा शांत हो जाती है।

शनि दोष निवारण के लिए नित्य भगवान् शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप करना चाहिए तथा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्ज् का जप करना चाहिए। इसके अलावा सूर्य नारायण के ॐ घृणिः सूर्याय नमःमंत्र का जाप तथा आदित्य हृदय स्तोत्र का प्रातः पाठ करना चाहिए।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार तथा मंगलवार को महावीर हनुमानजी की आराधना करें। ऊँ हनुमते नमः मंत्र का जप करना चाहिए। नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करने से अशुभ समय में अशुभ प्रभावों में निश्चित रूप से कमी होती है।


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