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    कश्यप पद सभी पदों में श्रेष्ठ

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    Updated: Fri, 27 Sep 2013 07:03 AM (IST)

    आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी शुक्रवार त्रिपाक्षिक गया श्राद्ध का

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    गया। आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी शुक्रवार त्रिपाक्षिक गया श्राद्ध का 9वां दिवस है। इस तिथि को 16 वेदी तीर्थ की 11वीं वेदी से 16वीं वेदी तक पिंडदान होता है। 16 वेदी तीर्थ की वेदियां देवताओं और ऋषियों के चरण प्रान्त हैं।

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    आज मतंग पद, क्रौंच पद, इन्द्रपद, अगस्त्य पद एवं कश्यप पद पर पिंडदान होता है। इन्द्र पद पर श्राद्ध से पितर इन्द्रलोक तथा शेष चार पदों पर श्राद्ध से पितर ब्रह्मालोक जाते हैं। गजकर्ण पद वेदी पर दूध से तर्पण किया जाता है। उक्त सभी वेदियों में कश्यप पद वेदी सर्वश्रेष्ठ है।

    कश्यप का चरण प्रान्त दिव्य है। यहां भारद्वाज ऋषि ने पिंडदान किया था। भारद्वाज की माता शांता भी उपस्थित थी। श्राद्ध का पिंड लेने के लिए गौर वर्ण तथा श्याम वर्ण का हाथ सामने आया। भारद्वाज के पिता गौर वर्ण के थे। माता शांता के आवास के स्वामी कृष्ण वर्ण के थे। क्षेत्र स्वामी भी पिंड के अधिकारी थे। माता शांता के संकेत से भारद्वाज ने कश्यप पद पर दोनों को पिंडदान किया और दोनों ने ब्रह्मालोक को प्राप्त किया।

    -[आचार्य लालभूषण मिश्र]

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