Move to Jagran APP

गुरुवार को ऐसे करें बृहस्पति देव की पूजा, भगवान विष्‍णु को पीला रंग बहुत है प्रिय

इस व्रत को करने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं और बृहस्पति महाराज प्रसन्न होते हैं तथा धन, पुत्र विद्या तथा मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।परिवार को सुख शान्ति मिलती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 03 Aug 2016 01:30 PM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2016 10:45 AM (IST)
गुरुवार को ऐसे करें बृहस्पति देव की पूजा, भगवान विष्‍णु को पीला रंग बहुत है प्रिय

गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति की पूजा के लिए शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार भगवान बृहस्पति साधु और संतों के देव माने गए हैं और इसी तरह पीला रंग संपन्नता का प्रतीक भी है। यही वजह है कि पीला रंग इस दिन को समर्पित किया गया है। गुरुवार का व्रत बड़ा ही फलदायी माना जाता है। गुरुवार के दिन जगतपालक श्री हरि विष्णुजी की पूजा का विधान है। कई लोग बृहस्पतिदेव और केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं। बृहस्पतिदेव को बुद्धि का कारक माना जाता है। केले के पेड़ को हिन्दू धर्मानुसार बेहद पवित्र माना जाता है।

loksabha election banner


गुरुवार व्रत विधि

इस दिन प्रात: उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प ले । अगर बृहस्पतिदेव की पूजा करनी हो तो उनका ध्यान करना चाहिए। इसके बाद पीले फल, पीले फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। प्रसाद के रूप में केले चढ़ाना शुभ माना जाता है । गुरुवार के दिन सुबह स्नान करें। पीले वस्त्र पहनें। पीला वस्त्र पर गुरु बृहस्पति की प्रतिमा को रखकर देवगुरु चार भुजाधारी मूर्ति का पंचामृत स्नान यानि दही, दुध, शहद, घी, शक्कर कराएं। स्नान के बाद गंध, अक्षत, पीले फूल, चमेली के फूलों से पूजा करें। - पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल से बने पकवान, चने, गुड़, हल्दी या पीले फलों का भोग लगाएं।

बृहस्पति मंत्र ऊँ बृं बृहस्पते नम: का जप करें। बृहस्पति आरती करें। क्षमा प्रार्थना कर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। पीले रंग की सामग्री और दक्षिणा देनी चाहिए। धार्मिक दृष्टि से गुरुवार के दिन व्रत-पूजा से गुरु गृह की कृपा से सुख-समृद्धि के साथ खासतौर पर कार्य और कामनासिद्धि की बाधाएं दूर हो जाती है। शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और बिना नमक का भोजन करना चाहिए। बृहस्पतिवार को जो स्त्री-पुरुष व्रत करें उनको चाहिए कि वह दिन में एक ही समय भोजन करें क्योंकि बृहस्पतेश्वर भगवान का इस दिन पूजन होता है भोजन पीले चने की दाल आदि का करें परन्तु नमक नहीं खावें और पीले वस्त्र पहनें, पीले ही फलों का प्रयोग करें, पीले चन्दन से पूजन करें, पूजन के बाद प्रेमपूर्वक गुरु महाराज की कथा सुननी चाहिए।

गुरुवार व्रत का फल

बृहस्पतिवार के दिन विष्णु जी की पूजा होती है। यह व्रत करने से बृहस्पति देवता प्रसन्न होते हैं। स्त्रियों के लिए यह व्रत फलदायी माना गया है। इस व्रत को करने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं और बृहस्पति महाराज प्रसन्न होते हैं तथा धन, पुत्र विद्या तथा मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। परिवार को सुख शान्ति मिलती है, इसलिए यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और अति फलदायक, सब स्त्री व पुरुषों के लिए है। इस व्रत में केले का पूजन करना चाहिए। कथा और पूजन के समय तन, मन, क्रम, वचन से शुद्ध होकर जो इच्छा हो बृहस्पतिदेव की प्रार्थना करनी चाहिए। उनकी इच्छाओं को बृहस्पतिदेव अवश्य पूर्ण करते हैं ऐसा मन में दृढ़ विश्वास रखना चाहिए।

बृहस्पति के उपाय-

बृहस्पति के उपाय हेतु जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए उनमें चीनी, केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक, मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजन उत्तम कहा गया है। इस ग्रह की शांति के लए बृहस्पति से सम्बन्धित रत्न का दान करना भी श्रेष्ठ होता है। दान करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो। दान किसी गरीब, ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को देना विशेष फलदायक होता है। कमज़ोर बृहस्पति वाले व्यक्तियों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए. ब्राह्मणों एवं गरीबों को दही चावल खिलाना चाहिए। रविवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर अन्य सभी दिन पीपल के जड़ को जल से सिंचना चाहिए। गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है। सोने वाले कमड़े में केला रखने से बृहस्पति से पीड़ित व्यक्तियों की कठिनाई बढ़ जाती है अत: इनसे बचना चाहिए।सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए। किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए। गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए। गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।

वृहस्पति ग्रह

वृहस्पति एक शुभ और सतोगुणी ग्रह है। क्यूँ कि यह आकर में सबसे बड़ा है , अन्य ग्रहों से , इसलिए इसे गुरु की संज्ञा भी दी गयी है और वृहस्पति देवताओं के गुरु भी है। वृहस्पति बुद्धि ,विद्वता ,ज्ञान ,सदगुणों ,सत्यता ,सच्चरित्रता ,नैतिकता ,श्रद्धा ,समृद्धि ,सम्मान .दया एवं न्याय का नैसर्गिक कारक होता है। किसी भी स्त्री के लिए यह पति ,दाम्पत्य ,पुत्र और घर -गृहस्थी का कारक होता है।

जन्म- कुंडली में शुभ वृहस्पति किसी भी स्त्री को धार्मिक ,न्याय प्रिय और ज्ञान वान पति -प्रिय और उत्तम संतान वती बनाता है। स्त्री विद्वान होने के साथ -साथ बेहद विनम्र भी होती है।

कमजोर वृहस्पति हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है पर किसी ज्योतिषी की राय ले कर ही। गुरुवार का व्रत रखा जा सकता है। सोने का धारण,पीले रंग का धारण और पीले भोजन सेवन किया जा सकता है। एक चपाती पर एक चुटकी हल्दी लगाकर खाने से भी वृहस्पति अनुकूल हो सकता है।

[ प्रीति झा ]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.