गुरु पूर्णिमा; इस दिन गुरुतत्व हजार गुना अधिक
गुरु का प्रत्येक मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व होता है। गुरु कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा व मान सम्मान तथा नाम प्राप्त नहीं कर सकता। आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा एवं व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। अन्य दिनों की तुलना में
गुरु का प्रत्येक मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व होता है। गुरु कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा व मान सम्मान तथा नाम प्राप्त नहीं कर सकता। आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा एवं व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। अन्य दिनों की तुलना में इस तिथि पर गुरुतत्व हजार गुना अधिक कार्यरत होता है। इसलिए इस दिन किसी भी व्यक्ति द्वारा जो कुछ भी अपनी साधना के रूप में किया जाता है उसका फल भी उसे हजार गुना अधिक प्राप्त होता है।
इस वर्ष यह पर्व 31 जुलाई को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 30 जुलाई को शाम सात बजकर एक मिनट से आरंभ होकर 31 जुलाई को शाम चार बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस अवधि के दौरान गुरु पूजा का विशेष महत्व रहेगा। साधक इस दिन अपने गुरू से गुरू मंत्र ले सकता है और जिसने मंत्र लिया है वह गुरु मंत्र का जाप करने के लिए विशेष समय है।