नये साल में हनुमान जी को प्रसन्न करने का यह है आसान उपाय
यह उपाय विधि पूर्वक करने से श्रीहनुमानजी की कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होने के योग बनने लगते हैं।
हनुमान जी के बारे में जितना जानो उतना कम है। हनुमान जी श्री राम के परमभक्त थे ये तो सभी जानते है। और वो हर इंसान के दुःख हरते हैं। कहते है की हनुमान जी आज भी हिमालय के पर्वतों में रहते हैं। उन्हें खुश करने को ख़ास मंत्र की आवश्यकता होती हैं। आइये जानते है हनुमान जी के इस ख़ास मन्त्र के बारे में
हनुमान जी के इस मंत्र के पीछे छुपी है कहानी –
कहा जाता है की हनुमान जी ने हिमालय पर पिदुरु नामक एक पर्वत के जंगलो में रहने वाले कुछ आदिवासियों को एक मंत्र दिया था। यह पर्वत श्री लंका से भी ऊँचा है। सेवा से खुश होकर दिया एक मंत्र। आदिवासियों के अनुसार यदि इस मंत्र का सही तरीके से उच्चारण किया जाए तो हनुमान जी अति प्रसन्न होतं है। कबीले वासियों के अनुसार हनुमान जी उनकी हमेशा रक्षा करते है। कहा जाता है की जब राम जी ने मानव रूप में समाधि ली तब हनुमान जी लंका के जंगलो में तप करने लग गये थे। और उस वक्त पिदुरु पर्वत के लोगों ने उनकी खूब सेवा की थी और उसी से खुश होकर हनुमान जी ने उन्हें एक मंत्र दिया था। –
क्या है मंत्र :
हनुमान जी को बुलाने वाला मंत्र बहुत छोटा है पर उसे सही तरीके से उच्चारण करना बहुत मुश्किल है.
यह है मंत्र –
‘कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु , निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु’
कहते हैं हनुमानजी की कृपा जिस पर भी होती है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है
कहते हैं हनुमानजी की कृपा जिस पर भी होती है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आज हम आप को बता रहे हैं हनुमान जी को प्रसन्न करने का आसान उपाय जिससे आप नए साल में अपनी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं।
यह उपाय किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरू कर सकते हैं उपाय के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक आहार ही ग्रहण करें एक ही समय भोजन करें तो बहुत अच्छा रहेगा।
इस प्रकार करें उपाय
उपाय प्रारंभ करने के लिए जिस मंगलवार का चयन करें, उसके पहले दिन सोमवार को सवा पाव गुड़, थोड़े से भूने चने और सवा पाव गाय के शुद्ध घी का प्रबंध कर लें। गुड़ के छोटे-छोटे 21 टुकड़े कर लें।
साफ रूई लेकर इसकी 22 फूल बत्तियां बनाकर घी में भिगो दें। इन सभी वस्तुओं को अलग-अलग साफ बर्तनों में लेकर किसी स्वच्छ स्थान पर रख दें। मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठ जाएं और स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद एक साफ बर्तन में एक गुड़ की डली, 11 चने, एक घी की बत्ती और माचिस लेकर साफ कपड़े से इस ढंक लें। अब नंगे पैर ही हनुमानजी के मंदिर की ओर जाएं। घर से निकलने से लेकर रास्ते में या मंदिर में किसी से कोई बात न करें और न ही पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें।
मंदिर पहुंचने के बाद हनुमानजी की मूर्ति के सामने मौन धारण किए हुए ही सबसे पहले घी की बत्ती जलाएं। इसके बाद 11 चने और एक गुड़ की डली हनुमानजी के सामने रखकर साष्टांग प्रणाम कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मन ही मन श्रद्धा व विश्वास से प्रार्थना करें फिर श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी मौन रहकर ही करें।अब मंदिर से घर पहुंचने तक न पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें और न ही किसी से बात करें। घर पहुंचने के बाद यह पूरी सामग्री उचित स्थान रखकर 7 बार राम-राम बोलकर ही अपना मौन भंग करें। रात में सोने से पहले 11 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें व अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना करें।
यह प्रक्रिया लगातार 21 दिन तक करें
22वे दिन मंगलवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो आटे का एक रोट बनाकर गाय के गोबर से बने उपले में इसे पका लें। अब इसमें आवश्यकतानुसार गाय का शुद्ध घी और गुड़ मिलाकर उसका चूरमा बना लें। 21 डलियों के बाद जो गुड़ बचा हो उसे भी चूरमे में मिला दें।
इस चूरमे को थाली में रखकर बचे हुए सारे चने व 22वीं अंतिम बत्ती लेकर प्रतिदिन की तरह ही मौन धारण कर बिना आगे-पीछे देखे मंदिर जाएं। फिर हनुमानजी की मूर्ति के सामने बत्ती जलाकर चने एवं चूरमे का भोग लगाएं। अब एक छोटे से बर्तन में थोड़ा से चूरमा लेकर हनुमानजी के सामने रख दें और शेष अपने साथ ले आएं। घर पहुंचने के बाद ही मौन भंग करें।
जो भी यह प्रयोग करे वह उस दिन दोनों समय सिर्फ उसी चूरमे का भोजन ग्रहण करे। शेष चूरमे को प्रसाद के रूप में बांट दें। यह उपाय विधि पूर्वक करने से श्रीहनुमानजी की कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होने के योग बनने लगते हैं।
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