28 मार्च से शुरु हैं नवरात्रा, जानें घटस्थापना करने की विधि
आरती के कुछ विशेष नियम होते हैं। विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि देवताओं के सम्मुख चौदह बार आरती उतारनी चाहिए।
By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 04:14 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 12:29 PM (IST)
चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों के साथ ही हिंदु नवसंवत्सर शुरू हो जाता हैं। जिसकी शुरुआत 28 मार्च से होगा। चैत्र महीने में आने वाले नवरात्रें को वार्षिक नवरात्रा भी कहा जाता हैं। नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूप की होने वाली यह आराधना साल के दो पखवाड़ों में अहम होते हैं। एक आराधना को चैत्र माह की और दूसरी शारदीय नवरात्र जो अश्विन माह में मनाया जाता हैं। 28 मार्च से शुरू होने वाले यह चैत्र नवरात्र पांच अप्रेल तक चलेंगे।
मां शैलपुत्री-
ऐसे करें घटस्थापना
नवरात्र की प्रतिपदा को मां शैलपुत्री की पूजा होती हैं और इसी के साथ नौ दिन के नवरात्रों का आगाज हो जाता हैं। 28 मार्च मंगलवार से चैत्र नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इस दिन घटस्थापना करने के साथ ही शुरू हो जाएगी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना। जानें घटस्थापना का सहीं तरीका और पूजा करने की विधि।
नवरात्र के पहले दिन यानी 28 मार्च को प्रतिपदा तिथि हैं। इस दिन होने वाली मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता हैं। चौकी पर मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की प्रतिमा को स्थापित करने के बाद उसे गंगा जल या गौमूत्र से शुद्ध करें और घट कलश की स्थापना करें। व्रत और उपासना का संकल्प लेकर मां को धूप दीप, फूल, फल, पान, आभूषण और आरती करके प्रसाद वितरण करके पूजा संपंन करें। मिट्टी के कलश या वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं को बोएं और उसके ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति रखें। इसके रोज नौ दिन तक स्नान करवाएं। पूजा में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन व मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक रोज करें। घट स्थापना का मुहूर्त: सुबह 8: 26 से 10: 24 तक है।
पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्र उत्सव का प्रारंभ होता है। । पूजन सात्विक हो, राजस या तामसिक नहीं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांति पाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। इच्छानुसार फल प्राप्ति के लिए विशेष मंत्र से अनुष्ठान करना या योग्य वैदिक पंडित से विशेष मंत्र से अनुष्ठान करवाना चाहिए।
इस आसान विधि से करें मां दुर्गा की आरती
आरती के कुछ विशेष नियम होते हैं। विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि देवताओं के सम्मुख चौदह बार आरती उतारनी चाहिए। चार बार चरणों पर से, दो बार नाभि पर से, एक बार मुख पर से तथा सात बार पूरे शरीर पर से आरती करने का नियम है। आरती की बत्तियां 1, 5, 7 अर्थात विषम संख्या में ही बत्तियां बनाकर आरती की जानी चाहिए।
5 अप्रैल: नववरात्र के अंतिम दिन राम नवमीं होती हैंं। पूजा का मुहूर्त सुबह 11: 09 से 1: 38 तक का हैं।
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