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पंचम देवी स्कंदमाता का स्तोत्र मंत्र

नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान वाली है। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। स्कंदमाता का स्तोत्र मंत्र इस प्रकार है:- नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्। समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्घ् शि

By Edited By: Published: Mon, 29 Sep 2014 09:45 AM (IST)Updated: Mon, 29 Sep 2014 09:46 AM (IST)
पंचम देवी स्कंदमाता का स्तोत्र मंत्र

नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान वाली है। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं।

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स्कंदमाता का स्तोत्र मंत्र इस प्रकार है:-

नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।

समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्घ्

शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।

ललाटरत्नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्घ्

महेन्द्रकश्यपाद्दचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।

सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्घ्

मुमुक्षुभिद्दवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।

नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।

सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्।

सुधाद्दमककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्घ्

शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।

तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्घ्

सहस्त्रसूर्यराजिकांधनच्जयोग्रकारिकाम्।

सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमच्जुलाम्घ्

प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।

स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्घ्

इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।

पुनरूपुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराद्दचतामघ्

जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्घ्

कवच ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।

हृदयंपातुसा देवी कातिकययुताघ्

श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।

सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदाघ्

वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।

उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतुघ्

इन्द्राणी भैरवी चौवासितांगीचसंहारिणी।

उपासना मंत्र

सिंहासानगता नितयं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

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