Move to Jagran APP

जानें, पवित्र हृदय से सूर्य की आराधना का अनोखा पर्व छठ पूजा की तिथि व महत्‍ता

पवित्र हृदय से सूर्य की आराधना, बिना मंत्र की अनोखी पूजा है ये छठ पूजा। भगवान सूर्य में गहरी आस्था व समर्पण का भाव ही इसकी विशेषता है। जाहिर तौर पर इसमें कोई दिखावा नहीं होता।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 02 Nov 2016 10:58 AM (IST)Updated: Fri, 04 Nov 2016 10:26 AM (IST)
जानें, पवित्र हृदय से सूर्य की आराधना का अनोखा पर्व छठ पूजा की तिथि व महत्‍ता

छठ पूजा में कोई दिखावा नहीं होता, कोई तड़क-भड़क नहीं होती, पवित्र हृदय से सूर्य देव की आराधना की जाती है। लिहाजा देश के लाखों पुरबिया परिवारों में आस्था की अंजुरी में समर्पण का अर्घ्य भगवान भास्कर को सौंपने की तैयारी शुरू हो गई है। चार दिन तक चलने वाली इस पूजा की शुरुआत शुक्रवार को नहान-खान के साथ हो जाएगी। पुरबिया परिवारों में शुक्रवार को अरवा चावल, अरहर की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई जाएगी । दाल में घी का तड़का भी लगाया जाएगा । जिसे कदुवा भात भी कहा जाता है ।

loksabha election banner

छठ महापर्व करने वाले व्रती शनिवार को दिन भर का उपवास रखेंगी। दिन भर अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं करेंगी फिर शाम में साठी धान की चावल की खीर गुड़ डालकर बनाई जाएगी। हवन किया जाएगा, छठी मैय्या की आराधना के साथ पूरे परिवार रोटी, खीर, केला आदि का प्रसाद ग्रहण करेंगे। छठ पूजा का सबसे प्रसिद्ध प्रसाद ठेकुआ भी शनिवार की रात में अथवा भोर में बनाया जाएगा। गेहूँ के आटे में गुड़ अथवा चीनी तथा घी और सूखे मेवे मिलाकर बनाया जाने वाला प्रसाद भी इस महापर्व से गहराई से जुड़ा हुआ है। उसके बाद रविवार को दिन भर अर्घ्य देने की तैयारी होगी।

सारा सामान जुटाकर उसे छोटे-छोटे सूप, डगरा आदि में रखकर बाँस के दउरे में रखा जाएगा और दोपहर बाद परिवार के व्यक्ति सिर पर यह दउरा लेकर चलेगा और उसके पीछे-पीछे पूरा परिवार भी छठ घाटों तक पहुँचेगा। छठ पूजा नदी-तालाब के किनारे ही मनाई जाती है। जानकार बताते हैं कि छठ महापर्व बिहार व पूर्वी उत्तरप्रदेश के खेती-किसानी करने वालों की पूजा है और खेती करने के लिए सूर्य की रोशनी के साथ-साथ पानी की भी आवश्यकता होती है। इस पूजा के बहाने पुरबिया संस्कृति ने नदी और तालाबों की सुरक्षा का भी स्थाई प्रबंध किया। पूजा के बहाने ही सही लोगों को खेती के इस आवश्यक स्रोत को बचाए रखने की चिंता रही है।

बिहार में तो छठ पूजा का वृहद आयोजन होता है, यह आस्था की पूजा है। भगवान सूर्य में गहरी आस्था व समर्पण का भाव ही इसकी विशेषता है। जाहिर तौर पर इसमें कोई दिखावा नहीं होता। कोई तड़क-भड़क नहीं होता। अलबत्ता यह जरूर है कि जिनकी मन्नतें पूरी हो गई हैं वे अवश्य बैंड बाजे के साथ छठ घाटों पर पहुँचते। यह आस्था की पूजा है।

पूजा तिथि

नहाय खाय: 04 नवंबर 2016, शुक्रवार

खरनाः 05 नवंबर 2016, शनिवार

संध्या अर्घ्यः 06 नवंबर 2016, रविवार

सूर्योदय अर्घ्यः 07 नवंबर 2016, सोमवार

पारणः 07 नवंबर 2016, सोमवार पढें; छठ पूजा से जुडी सारी खबरें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.