Move to Jagran APP

जानें, हरितालिका तीज के पूजा का शुभ मुहूर्त, विभिन्‍न राशि पर पड़ेगा ये असर

इस व्रत से सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्‍य में वृद्धि होती, शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं।जिससे उनके जीवन में कभी कोई दुःख न आये वे ख़ुशी से जीवन यापन करें

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 03 Sep 2016 12:29 PM (IST)Updated: Sun, 04 Sep 2016 10:02 AM (IST)
जानें, हरितालिका तीज के पूजा का शुभ मुहूर्त, विभिन्‍न राशि पर पड़ेगा ये असर

पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत 'हरितालिका तीज' 4 सितंबर को है, हिंदी कलेंडर के हिसाब से ये व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया को रखा जाता है। उत्तर भारत में ये व्रत कुंवारी लड़कियां भी करती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को पार्वती जी ने शादी से पहले किया था।

loksabha election banner

हरितालिका तीज । जिसमें सुहागिन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र के लिए निर्जल व्रत रखती हैं । पूरा दिन व्रत रख कर दूसरे दिन पूजा करके व्रत खोलती है। पंडितोंं के अनुसार यह व्रत भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता है। इस ख़ास दिन माता गौरी व भगवान शंकर का पूजन होता है। यह व्रत हस्त नक्षत्र में होता है। इस व्रत को सभी कुआंरी युवतियां जिनकी शादी तय हो गयी हों व सौभाग्यवती महिलाएं ही करती हैं।

इस व्रत को 'हरतालिका' इसीलिए कहते हैं कि पार्वती की सखी उन्हें पिता-प्रदेश से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। 'हरत' अर्थात हरण करना और 'आलिका' अर्थात सखी, सहेली।

सही मुहूर्त

इस बार तीज का पर्व काफी सुखद संयोग लेकर आया है। तृतिया तिथि 4 तारीख को सुबह 5 बजे से लग जायेगी इसलिए व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही सरगी कर लें। पूजा करने का सही मुहूर्त शाम 6 बजकर 04 मिनट से रात 8 बजकर 34 मिनट तक है। इस दौरान की गई पूजा बहुत सारी खुशियां और लाभ जातक को पहुंचायेगी।

तीज पूजन का समान

पूजा के लिए - गीली काली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा)।

माता पार्वती के लिए सुहाग सामग्री- मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि। श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए।

पूजन विधि

सबसे पहले 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मंत्र का संकल्प करके मकान को मंडल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र करें। हरितालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात् दिन-रात के मिलने का समय। संध्या के समय स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पार्वती तथा शिव की सुवर्णयुक्त (यदि यह संभव न हो तो मिट्टी की) प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से पूजा करें।

बालू रेत अथवा काली मिट्टी से शिव-पार्वती एवं गणेशजी की प्रतिमा अपने हाथों से बनाएं। इसके बाद सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, फिर इन वस्तुओं को पार्वतीजी को अर्पित करें।शिवजी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और उसके बाद सुहाग सामग्री किसी ब्राह्मणी को तथा धोती-अंगोछा ब्राह्मण को दे दें। इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन-आराधना कर हरतालिका व्रत कथा सुनें। फिर सर्वप्रथम गणेशजी की आरती, फिर शिवजी और फिर माता पार्वती की आरती करें। तत्पश्चात भगवान की परिक्रमा करें। रात्रि जागरण करके सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं।

ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं और फिर ककड़ी खाकर उपवास तोड़ें, अंत में समस्त सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी या किसी कुंड में विसर्जित करें। इसी त्योहार को दूसरी ओर बूढ़ी तीज भी कहा जाता हैं। इस दिन सास अपनी बहुओं को सुहागी का सिंधारा देती हैं। इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है भगवान शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं। जिससे उनके जीवन में कभी कोई दुःख न आये और हमेशा ख़ुशी से जीवन यापन करें । हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया को किया जाता है।

मान्यता

पुराणों के हिसाब से यह व्रत महिलाएं, लड़कियां कोई भी रख सकता है। कहते हैं मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिये लगातार तप किया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था।

तपस्या और निष्ठा का व्रत

तपस्या और निष्ठा के साथ स्त्रियां यह व्रत रखती है वह बड़ा कठिन है, क्योंकि ये व्रत बिना पानी के रखा जाता है। इस व्रत का खास तौर पर उत्तर भारत में विशेष मान है। कहते हैं इस व्रत को करने से महिलाओं को उनके पति सात जन्मों तक मिलते हैं।

तीज का राशियों पर प्रभाव


मेष

कुछ महिलाओं को आज के दिन भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति होगी। साज-सज्जा को लेकर परिवार में थोड़ी-बहुत कहासुनी हो सकती है, किन्तु पति आपको पूरा ख्याल रखेगें।

वृष

चन्द्रमा आपके पंचम भाव में गोचर करेगा। जो यह संकेत दे रहा है कि आप-अपनी बुद्धि के बल हर कार्य करने में सक्षम होगी। राय-मशविरा लेकर ही किसी विषय पर निर्णय लें।

मिथुन

इस राशि वालों के लिए चतुर्थ भाव का चन्द्रमा भौतिक सम्पदा में वृद्धि करायेगा। माता के सानिध्य से किये गये कार्यो में सफलता मिलगी। महिलाओं को कोई अच्छा उपहार भी मिल सकता है।

कर्क

तृतीय भाव का चन्द्रमा आपके साहस व पराक्रम में वृद्धि करायेगा। भाईयों से मधुर सम्बन्ध बनेंगे जिसका आपको लाभ मिलगा। समय के साथ हर कार्य निपटाने की कोशिश करें अन्यथा कुछ काम छूट सकते है।

पढे. क्या सुंदर स्त्रियां हमेशा पुरुषों की कमजोरी रही हैं, जानें स्वर्ग की अप्सराओं के बारें में अदभुत बातें

कन्या

आपके प्रथम भाव में चन्द्रमा गोचर करेगा। प्रथम भाव का चन्द्रमा मानसिक ऊर्जा में वृद्धि करायेगा। लाभेश होने के कारण कोई उपहार मिल सकता है। परिवार में सुखद माहौल बना रहेगा।

तुला

द्वादशेश चन्द्रमा आपके खर्चे में वृद्धि करायेगा। कुछ महिलाओं को नींद न आने से सम्बन्धित दिक्कत रह सकती है। नौकरी पेशा वाले लोगों को प्रमोशन मिलने की सम्भावना है।

वृश्चिक

चन्द्रमा आपके लाभ भाव में गोचर करेगा जिससे महिलाओं को मनचाही वस्तु की प्राप्ति हो सकती है। मित्रों से मिलन होगा एंव कुछ नई योजनाओं पर चर्चा हो सकती है।

धनु

दशम भाव का चन्द्रमा आपके कार्य क्षेत्र में प्रगति लायेगा। जॉब वाली महिलाओं के लिए विशेषकर शुभ रहेगा। कुछ लोगों के सोचे हुये कार्य पूर्ण न होने से मन दुःखी रह सकता है।

मकर

नवम भाव का चन्द्रमा भाग्य में वृद्धि करायेगा। महिलाओं को अपने मन पसन्द पर घूमने का मौका मिल सकता है। समय का प्रबन्धन करने की जरूरत है अन्यथा कुछ जरूरी कार्य छूट सकते है।

कुम्भ

अष्टम भाव का चन्द्रमा कुछ लोगों के जीवन में अचानक समस्यायें पैदा कर सकता है। महिलाओं का अपने जीवन साथी से तनाव हो सकता है। अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें अन्यथा रोग की चपेट में आ सकते है।

मीन

चन्द्रमा आपके सप्तम भाव में भ्रमण करेगा। सप्तम का चन्द्रमा आपके सुखों में वृद्धि करायेगा। मन की इच्छाओं की पूर्ति होगी। जरूरत से ज्यादा किसी पर विश्वास करने से मन को ठेस पहुंच सकती है।

पढे. आइए जानें, कौन हैं भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माता-पिता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.