26 से शुरू होंगे होलाष्टक, शुभ कार्य होंगे वर्जित
इस बार 26 फरवरी से होलाष्टक प्रारंभ होकर पांच मार्च तक चलेंगे। पांच मार्च को होलिका दहन होगी और छह मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी। इस दौरान होलाष्टक में विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्य करना वर्जित रहेगा। श्री शिव शक्ति ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश सेमवाल ने
रुड़की। इस बार 26 फरवरी से होलाष्टक प्रारंभ होकर पांच मार्च तक चलेंगे। पांच मार्च को होलिका दहन होगी और छह मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी। इस दौरान होलाष्टक में विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्य करना वर्जित रहेगा।
श्री शिव शक्ति ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश सेमवाल ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पूर्व फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से आरंभ होता है।
इसकी मान्यता है कि यह आठ दिन भक्त की परीक्षा और उसकी साधना के परिणाम के लिए जाने जाते हैं। उनके अनुसार सतयुग में महान दैत्य हिरण्यकश्यप के अस्सी हजार वर्ष तपस्या करने के बाद भगवान प्रसन्न हुए थे। उनसे वरदान पाने के बाद हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद पर अत्याचार किए और उसने भगवान विष्णु का स्मरण करना भी बंद कर दिया।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाकर यातनाएं दी। साथ ही होलिका ने भी प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया, लेकिन वह स्वयं ही जल गई और प्रह्लाद बच गए। इन आठ दिनों में प्रह्लाद को यातनाएं देने के कारण ही यह समय होलाष्टक कहा जाता है।