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भक्तों के आने से दूषित नहीं हो रहा पर्यावरण

श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या, यात्रा मार्ग पर निर्माण और कश्मीर में सुरक्षाबलों की संख्या से स्थानीय पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव और स्थानीय जल संसाधनों में बढ़ते प्रदूषण के स्थानीय संगठनों व अलगाववादियों के दावों की हवा पर्यावरणविद पद्मश्री सुनीता नारायण ने निकालते

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2015 03:09 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 03:14 PM (IST)
भक्तों के आने से दूषित नहीं हो रहा पर्यावरण

श्रीनगर । श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या, यात्रा मार्ग पर निर्माण और कश्मीर में सुरक्षाबलों की संख्या से स्थानीय पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव और स्थानीय जल संसाधनों में बढ़ते प्रदूषण के स्थानीय संगठनों व अलगाववादियों के दावों की हवा पर्यावरणविद पद्मश्री सुनीता नारायण ने निकालते हुए कहा कि यह सिर्फ दुष्प्रचार है।

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श्रद्धालुओं की संख्या कहीं भी पर्यावरण को नहीं बिगाड़ रही, बल्कि स्थानीय होटल व प्रशासन ही प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है।

उन्होंने यह दावा यहां बडगाम में स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स इंपावर्डमेंट मिशन द्वारा पर्यावरण प्रबंधन पर आयोजित एक व्याख्यान में व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने छात्रों, पर्यावरणविदों और मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि पहलगाम में श्रद्धालुओं की संख्या से स्थानीय पर्यावरण पर कोई नकारात्मक असर नहीं हो रहा है। वहां बोर्ड ने दो अत्याधुनिक एसटीपी स्थापित किए हैं और इनके गतिशील होने के बाद से ही पहलगाम में लिद्दर दरिया में प्रदूषण का स्तर 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से घट कर 30 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया है। सिर्फ पहलगाम में ही नहीं वादी में अन्यत्र भी होटल ही प्रमुख रूप से जल संसधानों की दुर्दशा और पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।

श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा के लिए तीर्थ यात्रियों की संख्या को सीमित किए जाने पर उन्होंने कहा कि गंगोत्री में श्रद्धालुओं की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं है। वहां कुछ समय के लिए यह पाबंदी थी, जिसे बाद में हटा लिया गया। इस समय श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की तीर्थयात्र ही ऐसी है, जहां यात्रियों की संख्या को सीमित रखा गया है। कश्मीर में सैन्यकर्मियों की मौजूदगी से पर्यावरण पर नकारात्मक असर को नकारते हुए उन्होंने कहा कि इसे साबित करने वाला अभी तक ऐसा कोई शोध नहीं हुआ है। उन्होंने कश्मीर में नई दिल्ली जैसी गलतियों से बचने की सलाह देते हुए कहा कि यहां सेटेलाईट टाऊन बनने चाहिए, मास्टर प्लान का उल्लंघन और निचले इलाकों में निर्माण नहीं होने चाहिए।


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