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अक्षय तृतीया ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी कार्य बिना पंचांग देखे किये जा सकते हैं

अक्षय तृतीया में पूजा-पाठ और हवन इत्यादि भी अत्याधिक सुखद परिणाम देते हैं| यदि प्रभु से अपराधों के लिए क्षमा-याचना की जाए तो प्रभु भक्तों को क्षमा कर देते हैं

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 04:08 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 10:12 AM (IST)
अक्षय तृतीया ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी कार्य बिना पंचांग देखे किये जा सकते हैं
अक्षय तृतीया ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी कार्य बिना पंचांग देखे किये जा सकते हैं

अक्षय तृतीया 28 अप्रैल को पड़ रही है। शुभ लग्न होने की वजह से इस दिन शादियों की धूम होगी। वहीं सोना-चांदी, हीरे के आभूषणों के साथ जमीन, खेत, प्रापर्टी, मकान, कार, बाइक, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान भी इस दिन खरीदे जाते हैं।  यह 28 अप्रैल को सुबह 10.30 बजे से शुरू होकर 29 तारीख को सुबह 6.55 बजे तक ही रहेगा। अक्षय तृतीया को आखा तीज से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह बहुत ही शुभ दिन माना जाता है और शादी के लिए इस दिन का विशेष मुहूर्त होता है।

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हर वर्ष वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में जब सूर्य और चन्द्रमा अपने उच्च प्रभाव में होते हैं, और जब उनका तेज सर्वोच्च होता है, उस तिथि को हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है| मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका सुखद परिणाम मिलता है| पारंपरिक रूप से यह तिथि भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम की जन्मतिथि होती है| इस तिथि के साथ पुराणों की अहम वृत्तांत जुड़े हुए हैं, जैसे -

सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ

भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण और हयग्रीव का अवतरण

ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव अर्थार्त उदीयमान

वेद व्यास एवं श्रीगणेश द्वारा महाभारत ग्रन्थ के लेखन का प्रारंभ

महाभारत के युद्ध का समापन

द्वापर युग का समापन

माँ गंगा का पृथ्वी में आगमन

भक्तों के लिए तीर्थस्थल श्री बद्रीनाथ के कपाट भी इसी तिथि से खोले जाते हैं

वृन्दावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर में सम्पूर्ण वर्ष में केवल एक बार, इसी तिथि में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं

अक्षय तृतीया एक ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी शुभ कार्य हेतु, कोई नयी वस्तु खरीदने हेतु पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती| विवाह, गृह-प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी बिना पंचांग देखे इस तिथि में किये जा सकते हैं| इस दिन पितृ पक्ष में किये गए पिंडदान का अक्षय परिणाम भी मिलता है| अक्षय तृतीया में पूजा-पाठ और हवन इत्यादि भी अत्याधिक सुखद परिणाम देते हैं| यदि सच्चे मन से प्रभु से जाने-अनजाने में किए गया अपराधों के लिए क्षमा-याचना की जाए तो प्रभु अपने भक्तों को क्षमा कर देते हैं और उन्हें सत्य, धर्म और न्याय की राह में चलने की शक्ति प्रदान करते हैं|

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है| इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना में विलीन होते हैं| स्त्रियाँ अपने और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं| ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके श्री विष्णुजी और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए| शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती एवं चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए| नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें| इसी दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें| साथ ही फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है|


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