Move to Jagran APP

सोमवार को है निर्जला एकादशी, ऐसे करें व्रत और पूजन

5 जून यानी सोमवार को निर्जला एकादशी का व्रत है। इस दिन दान-पुण्‍य का विशेष महत्‍व है।

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Sat, 03 Jun 2017 03:31 PM (IST)Updated: Mon, 05 Jun 2017 04:43 PM (IST)
सोमवार को है निर्जला एकादशी, ऐसे करें व्रत और पूजन
सोमवार को है निर्जला एकादशी, ऐसे करें व्रत और पूजन

कब पड़ती है निर्जला एकादशी

loksabha election banner

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है इस व्रत में पानी भी पीना वर्जित है इसिलिये इस निर्जला एकादशी कहते है।

क्‍या है इसकी कथा

जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो महाबली भीम ने निवेदन किया- पितामह! आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता- मेरे पेट में 'वृक' नाम की जो अग्नि है, उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्यव्रत से वंचित रह जाऊँगा?

व्रत एक, फल अनेक

पितामह ने भीम की समस्या का निदान करते और उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- नहीं कुंतीनंदन, धर्म की यही तो विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता, सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की बड़ी सहज और लचीली व्यवस्था भी उपलब्ध करवाता है। अतः आप ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होगा। निःसंदेह तुम इस लोक में सुख, यश और प्राप्तव्य प्राप्त कर मोक्ष लाभ प्राप्त करोगे।

भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं

इतने आश्वासन पर तो वृकोदर भीमसेन भी इस एकादशी का विधिवत व्रत करने को सहमत हो गए। इसलिए वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को लोक में पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन जो स्वयं निर्जल रहकर ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा घड़ा इस मंत्र के साथ दान करता है।

क्‍या-क्‍या करें दान

इस दिन महिलाओं द्वारा बढ़चढ़ कर दान-पुण्य किया जाता है। महिलाओं का कहना है ज्‍येष्‍ठ महीने की एकादशी होने की वजह से ऐसी वस्तुएं दान स्वरूप दी जाएगी जो गर्मी से बचाव कर सके। खासकर छाता, शीतल पेय पदार्थ,पंखे इत्यादि। जिसकी खरीदारी शुरू हो चुकी है। वहीं पंडितों का कहना है कि निर्जला एकादशी पर दान-पुण्य का विशेष महत्‍व होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.