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यहां माता तीन पिण्डियों के रूप में स्थापित हैं

माना जाता है कि उनकी रक्षा के लिए स्वयं हनुमान आ गए थे। इसलिए नवरात्र के अवसर पर यहां कन्या पूजन के समय एक छोटे बालक को लंगूर वीर का रूप दिया जाता और उसकी पूजा की जाती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 02:51 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 04:28 PM (IST)
यहां माता तीन पिण्डियों के रूप में स्थापित हैं
यहां माता तीन पिण्डियों के रूप में स्थापित हैं
मान्यता है कि वैष्णो देवी महासरस्वती महालक्ष्मी और महाकाली पिंडियों के रूप में विराजती हैं। माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया। रावण ने जब सीता का अपहरण कर लिया, तो राम उनकी खोज में वन-वन भटकने लगे। लक्ष्मण, सुग्रीव और हनुमान के साथ भटकते हुए भगवान राम दक्षिण दिशा की ओर जा रहे थे। मान्यता है कि रास्ते में उन्हें वैष्णवी नाम की एक दिव्य कन्या मिली। राम और लक्ष्मण को वन में भटकते देख वैष्णवी ने उन्हें तनिक देर विश्राम करने की सलाह दी और स्वयं उनके लिए फलाहार ले आई। कुछ देर विश्राम के बाद जब श्रीराम वहां से जाने लगे, तो वैष्णवी ने उनसे विवाह की इच्छा जताई। उनके इस अनुरोध पर श्रीराम ने कहा कि वे विवाहित हैं और इस समय अपनी पत्नी सीता की खोज में यहां-वहां भटक रहे हैं। इसलिए अभी उनका पहला धर्म  पत्नी की खोज करना है। वापसी में जब वे सीता के साथ लौटेंगे, तब यदि वैष्णवी ने उन्हें पहचान लिया, तो वे उससे विवाह अवश्य करेंगे। 
अपना वनवास समाप्त कर राम जब सीता के साथ लौट रहे थे, तो वैष्णवी उन्हें पहचान नहीं पाईं। सच तो यह है कि उन्होंने राम की सच्चे मन से सेवा की थी, इसलिए राम ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि वे त्रिकुटा पर्वत पर अपना दरबार लगाएं और कलियुग में सभी का कल्याण करें। उसी समय उन्होंने त्रिकुटा पर्वत की राह पकड़ ली। 
कौल कंडोली
जब वे पर्वत की ओर जा रही थीं, तो उनका पहला पड़ाव हुआ जम्मू के नगरोटा स्थित कौल कंडोली मंदिर। स्थानीय भाषा में कौल का अर्थ होता है बड़े आकार का कटोरा। दरअसल, इस मंदिर में कटोरे जैसा एक कुआं है। कुआं के पास ही विशाल वट वृक्ष है, जिस पर झूले डले हुए हैं। मान्यता है कि वैष्णवी यहां अपनी सहेलियों के साथ झूला झूला करती थीं। 
देवा माई मंदिर
कुछ समय कौल कंडोली में रहने के बाद वैष्णवी देवा माई मंदिर चली गईं। यह मंदिर कटरा में स्थित है। इन दो मंदिरों की प्राचीन मान्यता और आस्था के कारण माता के भक्त कहते हैं, 'पहला दर्शन कौल कंडोली, दूजा देवा माई....। 
श्रीधर का भंडारा
माता वैष्णवी के एक भक्त थे श्रीधर। उनकी पूजा-अर्चना से खुश होकर वैष्णवी ने उन्हें अपने घर में माता का भंडारा करने को कहा। निर्धन श्रीधर के मन में बार-बार यह विचार आ रहा था कि वे इस कार्य को कैसे संपन्न कर पाएंगे? कथाओं के अनुसार, घर पहुंचते ही उन्होंने देखा कि उनका घर भोजन और मिठाइयों से भरा हुआ है। कहते हैं कि श्रीधर के भंडारे में एक साधक 'भैरोÓ आए। उन्होंने उनसे मांस और मदिरा की मांग की। इस बात पर वैष्णवी और भैरो में भयंकर वाक युद्ध चला और उनके पीछे दौड़ा। वैष्णवी अभी कन्या थी, इसलिए वे उससे बचने के लिए त्रिकुटा पर्वत की ओर भागने लगी। 
भैरो घाटी
माना जाता है कि उनकी रक्षा के लिए स्वयं हनुमान आ गए थे। इसलिए नवरात्र के अवसर पर यहां कन्या पूजन के समय एक छोटे बालक को लंगूर वीर का रूप दिया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। जहां माता ने अपने बाल धोए और हनुमान उनकी रक्षा के लिए खड़े हुए, वह स्थान बाण गंगा कहलाती है। जिस स्थान पर ठहर कर माता ने भैरो की ओर देखा, वहां आज भी चरणों के चिह्नï देखे जा सकते हैं, इसे चरण पादुका कहा जाता है। भैरो वैष्णवी से अधिक बलशाली था। शक्ति अर्जित करने के लिए उन्हें अभी और तपस्या करनी थी। इसलिए वह एक गुफा में चली गईं। इस गुफा में नौ मास तक छुपकर उन्होंने सभी शक्तियां और सिद्धियां अर्जित कर लीं। यह स्थान गर्भ जून कहलाता है। मान्यता है कि सभी शक्तियों से संपूर्ण वैष्णवी अष्ट भुजा धारी मां वैष्णो बनकर बाहर निकलीं और भैरो का संहार किया। माता के त्रिशूल के एक ही प्रहार से भैरो का सिर दूर पहाड़ी पर जा गिरा और धड़ वहीं गिरकर तड़पने लगा। उसने जब मां से क्षमा-याचना की, तो मां ने आशीर्वाद दिया कि इस स्थान पर मेरी पूजा-अर्चना के बाद यदि श्रद्धालु भैरो के दर्शन करते हैं, तभी उनकी यात्रा पूरी होगी। इसलिए यहां आने वाले श्रद्धालु भैरो घाटी जरूर जाते हैं।
पूरी होती है मन्नत
 यहां माता तीन पिण्डियों के रूप में स्थापित हैं, जो महासरस्वती, महाकाली और महालक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं। महासरस्वती सत गुण, महालक्ष्मी रज गुण और महाकाली तम गुण की स्वामिनी है। जब इन तीनों गुणों की एक साथ आराधना की जाए, तो इनके आशीर्वाद से सिद्धीदायक योग बनता है। सत् की कृपा से व्यक्ति की सूरत और सीरत सुधरती है, रज गुण से लक्ष्मी की बरसात होती है और तम गुणों से दुश्मनों का नाश होता है। 
सुविधाएं
आधार शिविर कटरा से यात्रा पर्ची लेने के बाद भक्त अपनी यात्रा शुरू करते हैं। दूर-दराज से आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए यहां श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ओर से निहारिका भवन का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, यहां कई धर्मशालाएं और सराय भी मौजूद हैं, जहां आपको रहने और खाने-पीने की पूरी सुविधा मिलेगी। यहां स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए मेडिकल रूम भी बनाए गए हैं। 
योगिता यादव 

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