कहते हैं एक बार शिव जी यहां बाघ के रूप में देवी पार्वती के सामने प्रकट हुए
मंगेश शिव का ही एक रूप हैं। भारत भर में मंगेश गौड़ सारस्वत ब्राह्मणों के कुलदेवता या आराध्य देव के रूप में पूजे जाते। यह मंदिर एक शिवलिंग के रूप में है।
यूं तो गोवा अपने सुंदर समुद्र तटों और चर्च यानी गिरजाघरों के लिए मशहूर है, लेकिन यहां आपको प्राचीन मंदिरों के भी दर्शन हो सकते हैं। ऐसा ही एक खास मंदिर है श्री मंगेश या मंगेशी मंदिर, जो गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। पोंडा क्षेत्र में मोंगरी पहाड़ी के बीच स्थित यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। यह भगवान शिव का मंदिर है। दरअसल मंगेश शिव का ही एक रूप हैं। भारत भर में मंगेश गौड़ सारस्वत ब्राह्मणों के कुलदेवता या आराध्य देव के रूप में पूजे जाते हैं। यह मंदिर एक शिवलिंग के रूप में है।
शिल्पकला की बात की जाए, तो इस मंदिर की शैली गोवा के ही एक अन्य मंदिर शांतादुर्गा मंदिर से मिलती—जुलती है। यहां एक पानी का कुण्ड भी है, जो इसके प्राकृतिक सौन्दर्य को चार चांद लगाता है। यहां सभी स्तम्भ पत्थर के बने हैं और इस मंदिर में एक भव्य दीपस्तंभ भी है। मुख्य कक्ष में सभा गृह भी है। यदि आप यहां दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो शांतादुर्गा मंदिर के अलावा इस शहर के चर्च और रईस मागोस किला भी देख सकते हैं। समुद्र तटों पर भ्रमण का आनंद भी ले सकते हैं।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मंदिर दिनभर दर्शन के लिए खुला रहता है। हर सोमवार यहां एक महाआरती की जाती है और पालकी पर प्रतिमा की यात्रा निकाली जाती है। माघ महीने में यहां जात्रोत्सव या यात्रोत्सव का भी आयोजन होता है। मंगेशी मंदिर की वास्तुकला विशेष है। यह मंदिर 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां एक भव्य दीपस्तंभ भी है। मंगेशी मंदिर गोवा का एक प्रमुख मंदिर है। यह 20 किमी दूर, मंगेशी गांव में स्थित है। यह स्थान पोंडा तालुका में मोंगरी पर्वतो के बीच है। मंगेशी मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
कहते हैं एक बार शिव जी यहां बाघ के रूप में देवी पार्वती के सामने प्रकट हुए। देवी पार्वती उन्हें देखकर घबरा गईं और उनके मुंह से ' रक्षाम् गिरीश' (मदद करो गिरिजापति) शब्द निकले। तभी से भगवान शिव मंगिरीश के नाम से मंगेशी मंदिर में पूजे जाने लगे।
मंगेशी मंदिर की वास्तुकला विशेष है। यह मंदिर 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां एक भव्य दीपस्तंभ भी है। मंगेशी मंदिर के अलावा गोवा में कामाक्षी मंदिर, सप्तकेतेश्वर मंदिर, श्री शांतादुर्ग मंदिर, महलासा नारायणी मंदिर, भगवती मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर आदि हिंदू मंदिर विख्यात हैं।
यहां करते थे परशुराम यज्ञ
हरिवंशम और स्कंद पुराण में गोवा, का उल्लेख महाभारत में गोपराष्ट्र नाम से मिलता है। गोपराष्ट्र का अर्थ है गाय चराने वाला देश, दक्षिण कोंकण क्षेत्र का उल्लेख गोवाराष्ट्र के रूप में पाया जाता है। संस्कृत के कुछ अन्य पुराने ग्रंथों में में गोवा को गोपकपुरी और गोपकपट्टन कहा गया है।
मान्यता है कि इस शहर की रचना भगवान परशुराम ने की थी। यह प्राचीन कोंकण क्षेत्र का एक हिस्सा था। कहते हैं परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था।
यही कारण है कि गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।