इस मंदिर की खास विशेषता है कि इससे हिंदू से ज्यादा मुसलमान जुड़े हुए हैं
चाहे वो मंदिर परिसर में लगी दुकाने हों या मंदिर का निर्माण। सभी में मुस्लिम समुदाय के लोगों की खास भूमिका रही है।
गोरखपुर का विश्व प्रसिद्ध गोरक्षनाथ मंदिर। हिंदुओं की आस्था का केंद्र नाथ संप्रदाय का विश्वप्रसिद्ध मंदिर गोरखनाथ में आज भी गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिलती है। इस मंदिर की खास विशेषता है कि इससे हिंदू से ज्यादा मुसलमान जुड़े हुए हैं। चाहे वो मंदिर परिसर में लगी दुकाने हों या मंदिर का निर्माण। सभी में मुस्लिम समुदाय के लोगों की खास भूमिका रही है।
गोरखनाथ मंदिर परिसर में वर्तमान में जो भी निर्माण कार्य होते हैं, उसकी देखरेख मोहम्मद यासीन अंसारी करते हैं, जोकि मुस्लिम समुदाय के हैं। साल 1977 से वो यहां रहकर अपना और परिवार का जीवनयापन बखूबी कर रहे हैं। इनके बेटे मोहम्मद सलीम अंसारी गुरु गोरखनाथ चिकित्सालय के फिजियोथेरेपी विभाग में बतौर फिजियोथेरेपिस्ट काम कर रहे हैं। दैनिक भास्कर के अनुुसार यासीन के पिता गोरखनाथ मंदिर के 'कोठारी' रह चुके हैं। वह चावल-दाल और आटा तक का हिसाब-किताब रखते थे। इनका जनाजा भी इसी मंदिर से धूमधाम से निकला था। इनायतुल्ला अली और नसीर अहमद यहां माली के रूप में काम करते थे। बुजुर्ग होने के कारण अब इनके लड़के मंदिर परिसर में रहकर सेवा के माध्यम से अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। गोरक्षा के इस केंद्र के अंदर बनी गौशाला की जिम्मेदारी इनायतुल्लाह के बेटे मान मोहम्मद अंसारी के हाथ में है। गोबर-पानी, दाना-पानी से लेकर दूध निकालने तक का काम मोहम्मद अंसारी ही करते हैं। यह लगातार सात साल से मंदिर की सेवा कर आदित्यनाथ की सरपरस्ती में अपना परिवार चला रहे हैं।
आपको जानकर और भी ताज्जुब होगा कि मंदिर के मुख्य आर्किटेक्ट इंजीनियर तिवारीपुर इलाके के निसार अहमद रहे हैं। इनकी देखरेख में कई मंदिर और धर्मशालाएं बनी हैं। ये महाराणा प्रताप शिक्षापरिषद द्वारा संचालित एमपी पॉलीटेक्निक से रिटायर हो गए हैं, लेकिन अब भी वे मंदिर की सेवा में तन-मन से जुटे रहते हैं।