Move to Jagran APP

यहां पुजारी तक आंखों में पट्टी बांधकर पूजा करते हैं

गुजरात का अम्बा धाम। दुनिया का एकमात्र मंदिर हैं जहां मां अम्बा के स्वरूप 'अम्बा यंत्र' की पूजा आंखों पर पट्टी बांध कर की जाती है। यह मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा पर अहमदाबाद से 18 किलो मीटर और माउंट आबू से 45 किमी दूरी पर स्थित है। यहां

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 02:47 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 02:58 PM (IST)
यहां पुजारी तक आंखों में पट्टी बांधकर पूजा करते हैं

गुजरात का अम्बा धाम। दुनिया का एकमात्र मंदिर हैं जहां मां अम्बा के स्वरूप 'अम्बा यंत्र' की पूजा आंखों पर पट्टी बांध कर की जाती है। यह मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा पर अहमदाबाद से 18 किलो मीटर और माउंट आबू से 45 किमी दूरी पर स्थित है। यहां गर्भगृह में मां की मूर्ति नहीं बल्कि अंबा यंत्र की पूजा की जाती है। अंबा देवी का यंत्र गुप्त रखा गया है जिसे खुले में देखना भी निषेध है। यहां तक पुजारी भी आंखों में पट्टी बांधकर पूजा करते हैं।

loksabha election banner

मां का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है जहां मां सती का ह्दय गिरा था। पौराणिक मान्यता है कि शिव जब देवी सती का शिव लिए ब्रह्मांड में भटक रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। धरती पर जहां जहां ये अंग गिरे वो स्थान शक्तिपीठ कहलाए। धरती पर यह स्थान 51 हैं। यहां उस समय माता का ह्दय गिरा था तभी से यह धाम यहां है।

अम्बा धाम में हुआ था कान्हा का मुंडन

अम्बा मंदिर की छटा निराली है मां के दर्शन हों या उनके मंदिर में बनने वाला भोग विशेष बात यह है कि यह भोग मंदिर में देशी घी से तैयार किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार नंदबाबा और माता यशोदा ने यहीं मां अम्बा के यहां भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन करवाया था। भगवान राम और लक्ष्मण सीता की खोज करते हुए यहीं से गुजरे थे। यहीं माता ने रावण को मारने के लिए बाण दिया था। कहते है वाल्मीकि जी ने रामायण लिखने की शुरुआत इसी तपोभूमि से की थी।

गरबा कर, मांगते हैं मनोकामना

अम्बा जी के इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है यहां यंत्र पूजा का विधान है। यही कारण है कि मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों का मन अध्यात्म और मां की शक्ति से गूंज उठता है। मां अम्बा का यह मंदिर करीब 12 सौ साल पुराना है। मंदिर का जीर्णोद्धार 1975 में शुरु हुआ था जो अभी भी जारी है। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है मंदिर का शिखर 103 फुट ऊंचा है। यहां शिखर पर 358 स्वर्ण कलश सुशोभित हैं।

यहां नवरात्रों की शुरुआत भादों की पूर्णिमा से होती है। नवरात्र के दौरान यहां की छटा देखते ही बनती है। यहां नौ दिनों तक भक्तों का तांता बारिश की तरह लगा रहता है। यहां मंदिर में गरबा कर मां से मनोकामना मांगी जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.