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समरसता का द्वार स्वर्ण मंदिर

विभिन्न पंथों के बीच समरसता का अनुपम संदेश देता सिखों की आस्था का प्रमुख केंद्र स्वर्ण मंदिर अमृतसर में स्थित है, जहां जाति-मजहब आदि सभी दीवारों को लांघ लोग एक पंगत में बैठकर लंगर छकते हैं। इस तीर्थ के निर्माण का प्रारंभ चौथे गुरु रामदास जी ने कराया, जिसे पांचवें गुरु अर्जुनद

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 09 Oct 2014 01:34 PM (IST)Updated: Fri, 10 Oct 2014 12:03 PM (IST)
समरसता का द्वार स्वर्ण मंदिर

विभिन्न पंथों के बीच समरसता का अनुपम संदेश देता सिखों की आस्था का प्रमुख केंद्र स्वर्ण मंदिर अमृतसर में स्थित है, जहां जाति-मजहब आदि सभी दीवारों को लांघ लोग एक पंगत में बैठकर लंगर छकते हैं।

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इस तीर्थ के निर्माण का प्रारंभ चौथे गुरु रामदास जी ने कराया, जिसे पांचवें गुरु अर्जुनदेव जी ने पूर्णता प्रदान की। उन्होंने ही स्वयं सहित चारों गुरुओं और अन्य भक्तों की वाणी संकलित कर श्री गुरुग्रंथ साहिब का सृजन किया और उन्हें यहां हरिमंदिर साहिब में प्रतिष्ठित किया।

महाराजा रणजीत सिंह ने मुख्य भवन दरबार साहिब के ऊपरी हिस्से को चार सौ किलो सोने से मढ़वाया था। समीप ही जलियांवाला बाग है, जो शहादत के अनुपम उदाहरण के कारण राष्ट्रीय तीर्थ है। ननकाना साहिब (पाकिस्तान), दमदमा

साहिब, आनंदपुर साहिब (पंजाब), नांदेड़ (महाराष्ट्र), पटना साहिब (बिहार), पौंटा साहिब (हिमाचल प्रदेश), हेमकुंड साहिब (उत्तराखंड), गुरुद्वारा शीशगंज (दिल्ली) आदि सिखों के प्रमुख आराधना स्थल हैं।

साभार : देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार


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