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पुराणों के अनुसार, इस शहर को राजा बसु, ब्रह्मा के चौथे पुत्र द्वारा स्थापित किया गया था

जो भक्त सच्चे व श्रद्धा पूर्वक भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ कुष्ठ रोग से भी मुक्ति मिलती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 01 Mar 2017 02:57 PM (IST)Updated: Wed, 01 Mar 2017 03:03 PM (IST)
पुराणों के अनुसार, इस शहर को राजा बसु, ब्रह्मा के चौथे पुत्र द्वारा स्थापित किया गया था
पुराणों के अनुसार, इस शहर को राजा बसु, ब्रह्मा के चौथे पुत्र द्वारा स्थापित किया गया था
 राजगीर बिहार के नालंदा जिले में है। राजगीर पटना, बिहार की राजधानी से 100 किलोमीटर के आसपास है। इस स्थान ने प्राचीन काल से लोगों को आकर्षित किया है। पुराणों के अनुसार, इस शहर को राजा बसु, ब्रह्मा के चौथे पुत्र द्वारा स्थापित किया गया था। तीर्थ स्थल राजगीर की गोद में अवस्थित सूर्य कुंड सदियों पूर्व से ख्याति प्राप्त रहा है। इस कुंडमें सदियों पूर्व मगध राज्य के महाप्रतापी सम्राट जरासंघ के परिजनों ने भी भगवान भास्कर का अर्ध्ययदान कर पुण्य की प्राप्ति किया था।
कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा के परपौत्र राजा वसु ने अपने महायज्ञ के दौरान जब भगवान ब्रह्मा से निवेदन कर देवी-देवताओं के स्नान करने के लिए व्यवस्था करने को कहा था। उसी समय यहां 22 कुंड एवं 52 धाराओं की उत्पलिा हुई।
22 कुंडों में एक कुंड सूर्य कुंड भी शामिल है। अनुमान लगाया जा रहा है कि सूर्य कुंड के उत्पलिा होने के बाद से ही राजा-महाराजाओं सहित देवी-देवताओं ने भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करना शुरू किये होंगे जो आज तक चला रहा है। बड़ी बात तो यह भी है कि गरम पानी युक्त सूर्य कुंड सूबे में कहीं भी नहीं है। यह कुंड गरम पानी का एकलौता कुंड के रूप में है।
यहां पर छठ पूजा करने वाले छठव्रती लोग भगवान भास्कर के अर्घ्ययदान के पूर्व चन्द्रमा कुंड में स्नान करने के बाद ही सूर्य कुंड में स्नान कर भगवान भास्कर को अर्घ्यदान करते हैं। इस तरह के दो कुंड एक साथ एक स्थान पर सूबे में कहीं भी नहीं है। बताया जाता है कि जो भक्त सच्चे व श्रद्धा पूर्वक भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ कुष्ठ रोग से भी मुक्ति मिलती है।

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