कहते हैं कि इस कुंड में स्नान करने से संतान सुख मिलता है
कहते हैं कि जिन स्त्रियों को संतान नहीं होती उन्हें इस कुंड में स्नान करने मात्र से संतान सुख मिलता है।
हमीरपुर के ठठियार जंगल में अज्ञातवास पर रहे थे पांडव । भीम के पांव के निशान जंगल में एक पत्थर पर मौजूद है हैं। महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान देवभूमि हिमाचल में काफी समय बिताया था। हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंडल के ठठियार गांव के साथ लगते घने जंगलों में आज भी पांडव काल के साक्षात प्रमाण मौजूद हैं। जिस स्थान पर पांडवों ने कुछ समय बिताया था वहां पर कुंती कुंड आज भी मौजूद है। कहते हैं कि जिन स्त्रियों को संतान नहीं होती उन्हें इस कुंड में स्नान करने मात्र से संतान सुख मिलता है।
हमीरपुर जिला के ठठियार गांव के जंगल में आज भी एक जगह पर महाबली भीम के दायें पांव का निशान देखने को मिलता है। बुजुर्ग कहते हैं कि भीम का एक पैर हमीरपुर के इस जंगल में है तो दूसरा नयनादेवी के पास था। बैसाखी के दिन जहां शाही स्नान होता है। इस दौरान दूर-दूर से लोग आते हैं। मगर सरकार व जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते आज ये जगह गुमनामी के अंधेरे में खोई हुई है। सरकार ने इसके विकसित करने के लिए कोई कार्य नहीं किया है।
'इस स्थान पर महाभारत काल में पांडवों ने जहां पर कुछ समय व्यतीत किया था। इतिहासकार भी इस संस्थान की सुंदरता को और बढ़ावा देने के पक्षधर हैं। पर्यटन स्थल का लाभ पर्यटकों को मिलना चाहिए। इतिहास संकलन समिति भी तथ्य जुटाने का कार्य कर रही है। प्रशासन व सरकार को प्राचीन संस्कृति को उभारने के लिए तेजी से प्रयास करने चाहिए।
कैसे पहुंचे पर्यटक स्थल तक
चंडीगढ़ या पठानकोट से पहले हमीरपुर पहुंचना पड़ेगा। हमीरपुर से 24 किलोमीटर दूर ठठियार गांव है। भोटा से दैण-रोपड़ी मार्ग से होते हुए ठठियार गांव पहुंचा जा सकता है। ठठियार गांव से तीन किलोमीटर दूर घने जंगल में यह पर्यटन स्थल मौजूद है।