गुमनाम हुआ पौराणिक जुगलकिशोर मंदिर
सन् 1627 ईसवी सदी में वृंदावन में बना जुगलकिशोर मंदिर गुमनामी के अंधेरे में अस्तित्व से जद्दोजहद कर रहा है। इतिहास और आध्यात्म को समेटे इस मंदिर को आज भी जरूरत है उसे सजाने सवांरने और रखरखाव की। इतिहासकार बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जिलाधीश ग्राउस ने इसकी साफ सफाई करवाकर नगर पालिका के सुपुर्द क
वृंदावन। सन् 1627 ईसवी सदी में वृंदावन में बना जुगलकिशोर मंदिर गुमनामी के अंधेरे में अस्तित्व से जद्दोजहद कर रहा है। इतिहास और आध्यात्म को समेटे इस मंदिर को आज भी जरूरत है उसे सजाने सवांरने और रखरखाव की।
इतिहासकार बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जिलाधीश ग्राउस ने इसकी साफ सफाई करवाकर नगर पालिका के सुपुर्द कर दिया था। वर्तमान में इसकी देखभाल का जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास है।
वैष्णव संप्रदाय के जुगलकिशोर मंदिर का निर्माण जहांगीर शासनकाल में आमेर के राजा मानसिंह की दूत कछवाहा वंश के शेखावटी राजपूत सरदार नानकरण ने करवाया। अष्टकमल, अष्टकोंण के साथ मुगल, हिंदू स्थापत्य कला का अद्भुद नमूना बने इस मंदिरके मुख्य द्वार पर गिरिराज पर्वत उठाए भगवान श्रीकृष्ण की आकृति श्रद्धालुओं को स्वत: आकर्षित करती नजर आती है। यह मंदिर गोविंददेव, मदनमोहन और गोपीनाथ मंदिर की ही श्रृंखला में यह चौथा देवालय है।
केशी घाट के पास स्थित इस मंदिर का जगमोहन दूसरे मंदिरों के जगमोहन की अपेक्षा कुछ बड़ा है जो 25 वर्गफीट का है, द्वार पूर्व दिशा में। इसके अलावा उत्तर और दक्षिण में भी छोटे-छोटे द्वार हैं। शिखर भाव और गर्भग्रह नष्ट हो चुका था। ब्रिटिश शासनकाल में मथुरा के तत्कालीन जिलाधीश ग्राउस ने सन् 1876-77 में मंदिर का जीर्णोद्धार करा, मंदिर संचालन का जिम्मा नगर पालिका को दे दिया। आजादी के बाद गठित हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सुपुर्द इस मंदिर की न तो उचित देखभाल ही हो पा रही और न ही सफाई।
औरंगजेब शासनकाल में मूर्ति हटाई पौराणिक महत्व वाले जुगलकिशोर मंदिर में मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में मंदिर की मूर्ति को गायब कर दिया गया। तभी से यह मंदिर उपेक्षा का शिकार बनता चला गया।
बंधते थे पशु-
ब्रिटिश शासनकाल में मथुरा के तत्कालीन जिलाधीश ग्राउस ने मंदिर के बारे में अपनी किताब 'मथुरा ए डिस्टिक्ट मेमॉयर' में लिखा है कि जिस समय उन्होंने इसकी सफाई करवाई, उससे पहले यहां आसपास के लोग अपने पशुओं को बांधते थे। इसके अलावा सफाई के दौरान इसकी बुर्ज पर लगभग ढाई फीट मोटी कबूतर व अन्य पक्षियों की बीट मिली।
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