ये देवता धूम्रपान के सख्त खिलाफ है
बुढिय़ा को तंबाकू पीने का शौक था। वह चिलम तंबाकू नारायण से भरवाती थी। जो इसे नागवार गुजरता था। यही कारण है कि देवता आज भी धूमपान के पूरी तरह खिलाफ है।
मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने वाले देव हुरंग नारायण को चौहारघाटी के प्रमुख देवता के रूप में पूजा जाता है। हुरंग नारायण और घड़ौनी नारायण को भगवान बलराम का अवतार माना जाता है। इसके अलावा चौहार घाटी के देव पशाकोट घाटी वजीर समेत अन्य देवी देवताओं का भी मंडी जनपद में मुख्य स्थान है।
देव हुरंग नारायण धूम्रपान के सख्त खिलाफ है। गलती से भी धूम्रपान करने वाला व्यक्ति देवता के रथ के पास जाए तो उसे जुर्माना अदा करना पड़ता है। जानबूझ कर धूम्रपान करने वालों को देवता के प्रकोप को भी झेलना पड़ता है। हालांकि, देवता के साथ चलने वाले कारकून देवरथ के सामने मदिरापान कर अपनी थकान उतारते है। बलि प्रथा पर प्रतिबंध से पूर्व देवता को शिवरात्रि आगमन के दौरान जगह जगह मेमने की बलि दी जाती थी, लेकिन अब इस पर प्रतिबंध लग गया है। हिमरी गंगा के पास विशाल पत्थर के निकली गंगा की जलधारा जो नारला के पास पहाड़ी से बहती है आज भी प्रत्यक्ष देखी जाती है। ये उन्हीं की देन है। देव हुरंग के रथ पर लगे सोने के एक मोहरे पर सौ ईस्वी अंकित है। जिसमें अनुमान लगाना मुश्किल है कि देवता का रथ कितने हजार वर्ष पुराना है।
हुरंग नारायण वर्षा व मानव शरीर से रोग को दूर करने तथा विवाहित मामलों में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने के लिए प्रसिद्ध है। उनके पास देव शक्ति के सभी 18 करडुओं की शक्ति है। देवता के पुजारी और कारदार का कहना है कि बाल्यावस्था में देव नारायण स्नैड़ गांव में किसी बुढिय़ा के यहां पशु चराते थे। बुढिय़ा को तंबाकू पीने का शौक था। वह चिलम तंबाकू नारायण से भरवाती थी। जो इसे नागवार गुजरता था। यही कारण है कि देवता आज भी धूमपान के पूरी तरह खिलाफ है।
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने वाले देव हुरंग नारायण को चौहारघाटी के प्रमुख देवता के रूप में पूजा जाता है।