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शिव के इन मंदिरों से जुड़ी हैं हैरान करने वाली घटनाएं, मांगी गई मुराद यहां जरूर पूरी होती है

शिव भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में आकर अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से कुछ मांगता है उसकी वह इच्छा जरूर पूरी होती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 23 May 2016 02:19 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 10:37 AM (IST)
शिव के इन मंदिरों से जुड़ी हैं हैरान करने वाली घटनाएं, मांगी गई मुराद यहां जरूर पूरी होती है

अद्भुत हैं शिव । भगवान शिव के कुछ अलौकिक व प्राचीन मंदिरों के बारे में अगर हम जानें तो अचंभित रह जाएंगे । अपार है शिव की महिमा जिनसे शिव भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी है।

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टूटी झरना मंदिर

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर बेहद अद्भुत है क्योंकि यहां शिवलिंग का जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं मां गंगा करती हैं। झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित टूटी झरना नामक इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीसों घंटे स्वयं मां गंगा द्वारा किया जाता है। मां गंगा द्वारा शिवलिंग की यह पूजा सदियों से निरंतर चलती आ रही है।

शिव भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में आकर अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से कुछ मांगता है उसकी वह इच्छा जरूर पूरी होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार वर्ष 1925 में अंग्रेजी सरकार ने इस स्थान पर रेलवे लाइन बिछाने के लिए खुदाई का कार्य आरंभ किया, तब उन्हें जमीन के अंदर कोई गुंबद के आकार की चीज नजर आई।

गहराई पर पहुंचने के बाद उन्हें पूरा शिवलिंग मिला और शिवलिंग के ठीक ऊपर गंगा की प्रतिमा मिली जिसकी हथेली पर से गुजरते हुए आज भी जल शिवलिंग पर गिरता है। यही वजह है कि यह रहस्यमय मंदिर आज भी आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

पांडवों को मिली थी यहां पाप से मुक्ति

महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को मारकर जीत तो हासिल कर ली थी लेकिन जीत मिलने के बाद वह प्रसन्न नहीं बेहद दुखी रहने लगे क्योंकि उन्हें प्रतिदिन अपने संबंधियों की हत्या का गम सताता रहता था और वह कुछ भी कर इस पाप से मुक्ति पाना चाहते थे।

पश्चाताप की आग में जलते हुए पांचों भाई श्रीकृष्ण की शरण में गए। कृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और काला ध्वज दिया, साथ ही उनसे कहा कि ‘जिस स्थान पर गाय और ध्वज का रंग सफेद हो जाए उस स्थान पर शिव की अराधना करना, ऐसा करने से तुम्हें पाप से मुक्ति मिलेगी’।

पांडवों ने ऐसा ही किया और वे स्थान-स्थान भ्रमण करते रहे। अचानक एक स्थान पर जाकर गाय और ध्वज, दोनों का रंग सफेद हो गया। इसके बाद कृष्ण के कहे अनुसार उन्होंने वहां शिव की अराधना शुरू की। पांडवों की आराधना से भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने पांचों भाइयों को अलग-अलग अपने लिंग रूप में दर्शन दिए। गुजरात की भूमि पर अरब सागर में इसी स्थान पर निष्कलंक महादेव का मंदिर स्थापित है।

उत्तर भारत का ‘सोमनाथ’ है भोजेश्वर मंदिर

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित है शिव का यह मंदिर जहां आज भी अधूरा शिवलिंग स्थापित है। भोजेश्वर या भोजपुर नाम से विख्यात इस मंदिर की स्थापना परमार वंश के राजा भोज ने करवाई थी। यह मंदिर कला का एक बेहद अद्भुत नमूना है, यह मंदिर बेहद विशाल है जिसका चबूतरा ही 35 मीटर लंबा है।

बहुत समय पहले भोजेश्वर मंदिर के पश्चिम में बहुत बड़ी झील हुआ करती थी जिसपर एक बांध भी बना हुआ था। लेकिन अब उस बांध के सिर्फ अवशेष ही बाकी रह गए हैं। इस मंदिर को उत्तर भारत का ‘सोमनाथ’ भी कहा जाता है।

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग है, जिसका निर्माण एक ही पत्थर से हुआ है। इस मंदिर की दूसरी विशेषता इसका अधूरापन है। यह मंदिर अधूरा क्यों है इसका प्रमाण तो नहीं मिला लेकिन स्थानीय कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक ही दिन में पूरा होना था, लेकिन मंदिर पूरा होता इससे पहले ही सुबह हो गई। इसलिए आज भी यह मंदिर अधूरा ही है।

विष्णु के अवतार ने बनाया था यह मंदिर

शिव को समर्पित, परशुराम महादेव मंदिर का निर्माण स्वयं विष्णु के अवतार रहे परशुराम ने अपनी कुल्हाड़ी से गुफाओं को काटकर किया था। यह मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित है। परशुराम ने अपने आराध्य शिव की पूजा के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था, जो गुफाओं के बीच मौजूद है।

यह गुफा सागर से करीब 3,995 फुट ऊपर है, जिसमें गणेश और शिव की मूर्तियां स्थापित हैं और जिनके विषय में माना जाता है कि ये अपने आप अवतरित हुई हैं। इस मंदिर के पास नौ प्राकृतिक कुंड भी हैं, जिनका पानी कभी नहीं सूखता।

लक्ष्मणेश्वर मंदिर

छत्तीसगढ़ का काशी कहा जाना वाला यह मंदिर अपने आप में बेहद अद्भुत है। ऐसा माना जाता है कि रावण के संहार के पश्चात लक्ष्मण ने अपने भाई राम से इस मंदिर की स्थापना करवाई थी।

एक लाख छिद्र

मान्यता के अनुसार मंदिर के गर्भगृह में श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण द्वारा स्थापित लक्ष्यलिंग मौजूद है। इस मंदिर को लखेश्वर महादेव भी कहा जाता है क्योंकि इसमें एक लाख लिंग मौजूद हैं। इस मंदिर में एक पातालगामी लक्ष्य छिद्र है जिसमें जितना भी जल डाला जाय वह उसमें समाहित हो जाता है। इन छिद्रों में एक ऐसा छिद्र भी है जिसमें हमेशा जल भरा रहता है, जिसे अक्षय कुंड कहते हैं।

छत्तीसगढ़ में इस स्थान को काफी सम्मानित माना जाता है। कहते हैं भगवान राम ने इस स्थान पर खर और दूषण नाम के असुरों का वध किया था इसी कारण इस नगर का नाम खरौद भी पड़ा।


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