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दुनिया का इकलौता मंदिर जहां लेटी हुई है हनुमानजी की प्रतिमा

संगम किनारे शक्ति के देवता हनुमान जी का एक अनूठा मन्दिर है। यह पूरी दुनिया मे इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंग बलि की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है।

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Tue, 06 Jun 2017 02:05 PM (IST)Updated: Tue, 06 Jun 2017 02:05 PM (IST)
दुनिया का इकलौता मंदिर जहां लेटी हुई है हनुमानजी की प्रतिमा
दुनिया का इकलौता मंदिर जहां लेटी हुई है हनुमानजी की प्रतिमा

अकबर ने लगाई थी ये प्रतिमा

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जो प्रचलित कथा इस लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर के विषय में प्राप्त होती है, वह यह है कि एक बार एक व्यापारी हनुमान जी की भव्य मूर्ति लेकर जलमार्ग से चला आ रहा था। वह हनुमान जी का परम भक्त था। जब वह अपनी नाव लिए प्रयाग के समीप पहुंचा तो उसकी नाव धीरे-धीरे भारी होने लगी तथा संगम के नजदीक पहुंच कर यमुना जी के जल में डूब गई। कालान्तर में कुछ समय बाद जब यमुना जी के जल की धारा ने कुछ राह बदली। तो वह मूर्ति दिखाई पड़ी। उस समय मुसलमान शासक अकबर का शासन चल रहा था। उसने हिन्दुओं का दिल जीतने तथा अन्दर से इस इच्छा से कि यदि वास्तव में हनुमान जी इतने प्रभावशाली हैं तो वह मेरी रक्षा करेगें। यह सोचकर उनकी स्थापना अपने किले के समीप ही करवा दी।

भगवान राम से जुड़ी है एक कहानी

एक और कहानी इनके बारे में सुनी जाती है। जो सबसे ज्यादा तार्किक, प्रामाणिक एवं प्रासंगिक कथा इसके विषय में जनश्रुतियों के आधार पर प्राप्त होती है, वह यह है कि रामावतार में अर्थात त्रेतायुग में जब हनुमानजी अपने गुरु सूर्यदेव से अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करके विदा होते समय गुरुदक्षिणा की बात चली। भगवान सूर्य ने हनुमान जी से कहा कि जब समय आएगा तो वे दक्षिणा मांग लेंगे। हनुमान जी मान गए। किन्तु फिर भी तत्काल में हनुमान जी के बहुत जोर देने पर भगवान सूर्य ने कहा कि मेरे वंश में अवतरित अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम अपने भाई लक्ष्मण एवं पत्नी सीता के साथ प्रारब्ध के भोग के कारण वनवास को प्राप्त हुए हैं। वन में उन्हें कोई कठिनाई न हो या कोई राक्षस उनको कष्ट न पहुंचाएं इसका ध्यान रखना।

रात में नदी नहीं लांघते इसलिए लेट गए थे हनुमान जी

सूर्यदेव की बात सुनकर हनुमान जी अयोध्या की तरफ प्रस्थान हो गए। भगवान सोचे कि यदि हनुमान ही सब राक्षसों का संहार कर डालेंगे तो मेरे अवतार का उद्देश्य समाप्त हो जाएगा। अत: उन्होंने माया को प्रेरित किया कि हनुमान को घोर निद्रा में डाल दो। भगवान का आदेश प्राप्त कर माया उधर चली जिस तरफ से हनुमान जी आ रहे थे। इधर हनुमान जी जब चलते हुए गंगा के तट पर पहुंचे तब तक भगवान सूर्य अस्त हो गए। हनुमान जी ने माता गंगा को प्रणाम किया। तथा रात में नदी नहीं लांघते, यह सोचकर गंगा के तट पर ही रात व्यतीत करने का निर्णय लिया।


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