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इस मंदिर में होती है भगवान श्रीराम की बड़ी बहन की पूजा

भगवान राम के तीन भाई हाने की बात जगजाहिर है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि श्रीराम की एक बहन भी थीं। जिनका नाम शांता है, आइए जाने कहां है शांता का मंदिर..

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Mon, 08 May 2017 01:22 PM (IST)Updated: Mon, 08 May 2017 01:22 PM (IST)
इस मंदिर में होती है भगवान श्रीराम की बड़ी बहन की पूजा
इस मंदिर में होती है भगवान श्रीराम की बड़ी बहन की पूजा

कुल्‍लू में है श्रीराम की बहन शांता का मंदिर

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कुल्लू में स्थित शृंग ऋषि मंदिर में श्रीराम की बड़ी बहन शांता की पूजा होती है। यह मंदिर कुल्लू से 50 कि.मी. दूर स्थित है। यहां देवी शांता की प्रतिमा उनके पति शृंग ऋषि के साथ है। इस मंदिर में दोनों की पूजा हेतु दूर-दूर से भक्त आते हैं। शांता चारों भाईयों से बड़ी थीं। वह राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के थोड़े ही दिन के बाद उन्हें अंगदेश के राजा रोमपद ने गोद ले लिया था। भगवान राम की बड़ी बहन का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात राम की मौसी थीं।

मौसी ने पाला था श्रीराम की बहन को

शांता के बारे में तीन कथाएं का उल्लेख मिलता है। पहली कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम की मौसी यानी की कौशिल्या की बहन वर्षिणी नि:संतान थीं तथा एक बार अयोध्या में उन्होंने हंसी-हंसी में ही बच्चे की मांग की। दशरथ भी मान गए। रघुकुल का दिया गया वचन निभाने के लिए शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं। शांता वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं और वे अत्यंत सुंदर भी थीं। वहीँ, दूसरी कथा के अनुसार, शांता जब पैदा हुईं, तब अयोध्‍या में अकाल पड़ा और 12 वर्षों तक धरती धूल-धूल हो गई। चिंतित राजा को सलाह दी गई कि उनकी पुत्री शां‍ता ही अकाल का कारण है। राजा दशरथ ने अकाल दूर करने के लिए अपनी पुत्री शांता को वर्षिणी को दान कर दिया। उसके बाद शां‍ता कभी अयोध्‍या नहीं आई।

इस तरह हुआ था विवाह

देवी शांता के विवाह को लेकर भी एक कहानी बताई जाती है। एक बार एक ब्राह्मण राजा रोमपद के द्वार पर आकर वर्षा के दिनों में खेती की जुताई में शासन की मदद के लिए प्रार्थना करने आता है। राजा रोमपद अपनी बेटी शांता से बातें करने में इतने व्यस्त थे कि वह ब्राह्मण की बात नहीं सुन पाए। ब्राह्मम निराश होकर वहां से चले गए। इंद्रदेव अपने भक्त की अनदेखी से क्रोधित होकर राजा रोमपद से नाराज हो गए। जिसके कारण उनके राज्य में वर्षा नहीं हुई और खेत सूख गए। इस संकट से निकलने के लिए राजा रोमपद ने शृंग ऋषि से उपाय मांगा। ऋषि ने इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ किया। जिसके बाद ऋषशृंग ऋषि से देवी शांता का विवाह कर दिया। 


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