कैलाश : धरती की नाभि में विराजते हैं शिव, दर्शन मात्र में श्रद्धालुओं में भर उठती है ऊर्जा
कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरु हो गई है। भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना हो चुका है। शिव जी की एक झलक पाने से संपूर्ण दुख दूर हो जाते हैं।
संपूर्णता का एहसास
ईश्वर यानी शिव असीम ऊर्जा के पुंज हैं। मान्यता है कि वे धरती की नाभि कहलाने वाले पर्वत शिखर कैलाश पर विराजते हैं। यदि मानव शरीर की संरचना को देखा जाए, तो हमारी नाभि पूरे शरीर का मध्य भाग होती है। पूरे शरीर की ऊर्जा वहां संघनित होती है। ठीक उसी प्रकार कैलाश ऊर्जा पुंज का भंडार है, जिसे आंखें बंद कर आसानी से अनुभव किया जा सकता है। जिस तरह बच्चा गर्भ में हर तरह की परेशानियों से परे होता है, ठीक उसी प्रकार जब श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर पहुंचते हैं, तो वे विचारहीन हो जाते हैं तथा उन्हें अद्भुत शांति का अनुभव होता है।
19,500 फीट की ऊंचाई पर दर्शन
दूसरी ओर, योग और ध्यान के देवता हैं शिव। स्वस्थ मन और शरीर से ही उनकी आराधना हो सकती है। लगभग 19,500 फीट की ऊंचाई पर उनका दर्शन करने से पहले हमारा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान दुर्गम पथ से होकर गुजरना पड़ता है। विभिन्न रास्तों से गुजरते हुए यह एहसास अवश्यंभावी है कि धन, संपत्ति की बजाय स्वस्थ शरीर का महत्व है। स्वस्थ शरीर में ही ईश्वर का वास होता है। ऊं नम: शिवाय को प्रतिध्वनित करते श्रद्धालु जब कैलाश पहुंचते हैं, तो उनकी सभी सांसारिक इच्छाओं की चाह मिट जाती है और उन्हें होता है जीवन में सब कुछ पा लेने का एहसास। व्यक्ति के अंतर्मन का भाव विचारों पर प्रभावी होता है। इस यात्रा के बाद भौतिक जगत में जीते हुए भी व्यक्ति स्वयं को संपूर्ण मानने लगता है।