शाली देवी मंदिर: हर मुराद पूरी करती है मां
माता शाली देवी मंदिर शिमला ऊंची पहाड़ी पर स्थित एक रमणीय स्थान है। माता शाली देवी को माता भीमा काली का स्वरूप कहा जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए देवदार, मौरू, बान के पेड़ों से घिरा रास्ता श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। माता के दर्शन करने के लिए प्रदेशभर से लोग यहां आते हैं व माता से मन्न
शिमला [हिमाचल प्रदेश]। माता शाली देवी मंदिर शिमला ऊंची पहाड़ी पर स्थित एक रमणीय स्थान है। माता शाली देवी को माता भीमा काली का स्वरूप कहा जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए देवदार, मौरू, बान के पेड़ों से घिरा रास्ता श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। माता के दर्शन करने के लिए प्रदेशभर से लोग यहां आते हैं व माता से मन्नत मांगते हैं। माना जाता है कि मां शाली देवी के मंदिर में मांगी गई मुराद जल्द ही पूरी हो जाती है। कहते हैं कि वर्षो पहले जब स्वास्थ्य सेवाएं इतनी ज्यादा उपलब्ध नहीं थी तब यहां के लोग किसी बीमारी के ठीक होने की कामना मां शाली से करते थे और बिना किसी दवाई से ठीक हो जाते थे। मां शाली को समस्त रोगों की हर्ता माना जाता है व लोगों की इस स्थान के प्रति बड़ी आस्था है।
मंदिर का इतिहास
बताया जाता है कि वर्षो पहले दलाणा गांव के एक विद्वान बदरा पंडित सराहन से देवी को लाए थे तभी से माता की मूर्ति दलाणा में स्थापित की गई थी। इसके बाद देवी के आदेश से स्थानीय लोगों ने 9420 ऊंचाई वाली चोटी शाली में मंदिर बनाया। पहले इस स्थान पर देवी माता का एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था, लेकिन अब मंदिर विकास सभा के प्रयासों से परिसर का विकास किया गया। अब यहां पर 200 से 250 श्रद्धालुओं के ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है।
कैसे पहुंचे मंदिर तक
माता शाली देवी मंदिर शिमला से करीब 50 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए शिमला से खटनोल ग्राम तक सड़क सुविधा उपलब्ध है। खटनोल पहुंचने के बाद मंदिर जाने के लिए तीन घंटे का पैदल रास्ता है। यह रास्ता कठिन है और चारों ओर पेड़ों से ढंके खूबसूरत पहाड़ हैं।
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