धौलाधार पर विराजमान...मां हिमानी चामुंडा
जिला कांगड़ा में आदि हिमानी चामुंडा नंदिकेश्वर धाम में मां भगवती शक्ति रूप में विराजमान है। आदि हिमानी चामुंडा धाम पौराणिक काल से शिव शक्ति का अदभुत सिद्ध वरदान देने वाले स्थल के रूप में जाना जाता है।
जिला कांगड़ा में आदि हिमानी चामुंडा नंदिकेश्वर धाम में मां भगवती शक्ति रूप में विराजमान है। आदि हिमानी चामुंडा धाम पौराणिक काल से शिव शक्ति का अदभुत सिद्ध वरदान देने वाले स्थल के रूप में जाना जाता है। इसी स्थान पर असुर जालंधर और महादेव के बीच युद्ध के दौरान भगवती चामुंडा को अधिष्ठात्री देवी और रुद्रत्व प्राप्त हुआ था। इस कारण यह क्षेत्र रुद्र चामुंडा के रूप में भी ख्याति प्राप्त है। मां चामुंडा यहां जालंधर पीठ के उत्तरी द्वारपाल के रूप में स्थापित हैं। जब देवासुर संग्राम हुआ तो भगवती कौशिकी ने अपनी भृकुटि से मां चंडिका को उत्पन्न किया और उन्हें चंड व मुंड नाम के दैत्यों का वध करने को कहा। मां भगवती चंडिका व दैत्य चंड व मुंड के साथ भीषण संग्र्राम हुआ। मां ने दोनों दैत्यों का वध कर दिया और दोनों असुरों के सिरों को काटकर भगवती कौशिकी के पास ले गई। भगवती ने प्रसन्न होकर कहा कि तुमने दैत्य चंड व मुंड का संहार किया है। अब तुम संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध होंगी। तभी से कांगड़ा जिला के चामुंडा में मां चामुंडा क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं।
कैसे पहुंचे यहां
मां का प्राचीन मंदिर धौलाधार में अति दुर्गम स्थल पर स्थित है, जिसे मां हिमानी चामुंडा मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर तक मार्ग दुर्गम होने के चलते भक्तों का वहां पहुंचना अति कठिन है। अब मां की इच्छा व आज्ञा से वर्तमान स्थल पर भव्य नए मंदिर का निर्माण किया गया। यहां कई किलोमीटर सीधी चढ़ाई चढऩे के बाद श्रद्धालु दुर्गम स्थल पर स्थित मां के मंदिर पहुंचते हैं। अब इस स्थल पर भी सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने व खाने पीने की सुविधा मिल सके। गर्मियों में दुर्गम स्थल पर श्रद्धालु जातरों के रूप में यहां पहुंचते हैं। जबकि धर्मशाला-पालमपुर राजमार्ग में डाढ़ कस्बे के पास बाण गंगा (बनेर खड्ड) के मुहाने पर मां चामुंडा का मंदिर स्थापित है। जो श्रद्धालु दुर्गम स्थल तक नहीं पहुंच पाते वह श्रद्धालु यहां पर सरलता से माथा टेकने के लिए पहुंचते है। मां के मंदिर के साथ ही राजमार्ग गुजरता है, यहां पर श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए होटल व सराय बनी हुई है। मंदिर प्रबंधन की ओर से लंगर की व्यवस्था रहती है।
ऐसा है मां का दरबार
मंदिर के गर्भगृह में एक ओर भगवान हनुमान तो दूसरी ओर भैरव की मूर्ति है। मंदिर में देवी महातम्य, रामायण व महाभारत का सुंदर चित्रों के साथ वर्णन किया गया है। मंंदिर के साथ ही भगवान नंदिकेश्वर का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के सरोवर में भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित है। यहां पर अक्सर हवन यज्ञ व धार्मिक क्रियाकलाप आयोजित होते रहते हैं। यहां न केवल देश बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु मां के दरबार में नतमस्तक होते हैं।
प्रस्तुति : नीरज व्यास