यहां बकरीद के मौके पर गाय-बैल को नहीं काटते मुसलमान
मुसलमानों के प्रसिद्ध त्योहार बकरीद पर गोश्त न खाया जाता हो ऐसा हो ही नहीं सकता। पर यह सच है कि बकरीद पर पाकिस्तान में उमरकोट और थरपारकर के मुसलमान गाय-बैल की क़ुर्बानी नहीं देते।
मुसलमानों के प्रसिद्ध त्योहार बकरीद पर गोश्त न खाया जाता हो ऐसा हो ही नहीं सकता। पर यह सच है कि बकरीद पर पाकिस्तान में उमरकोट और थरपारकर के मुसलमान गाय-बैल की क़ुर्बानी नहीं देते।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के उमरकोट और थरपारकर के मुसलमान बकरीद के मौके पर गाय या बैल की क़ुर्बानी नहीं करते। इतना ही नहीं वे शादी-गमी के मौके पर अपने हिंदू दोस्तों को उन बर्तनों में भी नहीं खिलाते हैं, जिनमें बीफ खाया गया हो।
जी न्यूज के अनुसार हालांकि पाकिस्तान में गाय और बैल काटने पर कोई रोक नहीं है। पाकिस्तान में आप सब्जी खाते हैं या गोश्त, इस बारे में कोई कानूनी बाधा या पूछताछ या धर-पकड़ नहीं है, सिवाय इसके कि आप रोजे के समय खुलेआम न खाएं-पियें।
बकरीद का सच
इसके आलावा इस्लाम में हज करना जिंदगी का सबसे जरुरी भाग माना जाता हैं। जब वे हज करके लौटते हैं तब बकरीद पर अपने अज़ीज़ की कुर्बानी देना भी इस्लामिक धर्म का एक जरुरी हिस्सा हैं जिसके लिए एक बकरे को पाला जाता हैं। दिन रात उसका ख्याल रखा जाता हैं। ऐसे में उस बकरे से भावनाओं का जुड़ना आम बात हैं। कुछ समय बाद बकरीद के दिन उस बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं।
कैसे मनाई जाती हैं बकरीद
सबसे पहले ईदगाह में ईद सलत पेश की जाती हैं। पुरे परिवार एवम जानने वालो के साथ मनाई जाती हैं।
सबके साथ मिलकर भोजन लिया जाता हैं। नये कपड़े पहने जाते हैं। गिफ्ट्स दिए जाते हैं खासतौर पर गरीबो का ध्यान रखा जाता हैं उन्हें खाने को भोजन और पहने को कपड़े दिये जाते हैं। बच्चों और अपने से छोटो को ईदी दी जाती हैं। ईद की प्रार्थना नमाज अदा की जाती हैं। इस दिन बकरे के अलावा गाय, बकरी, भैंस और ऊंट की कुर्बानी दी जाती हैं। कुर्बान किया जाने वाला जानवर देख परख कर पाला जाता हैं अर्थात उसके सारे अंग सही सलामत होना जरुरी हैं। बकरे को कुर्बान करने के बाद उसके मांस का एक तिहाई हिस्सा खुदा को, एक तिहाई घर वालो एवम दोस्तों को और एक तिहाई गरीबों में दे दिया जाता हैं।
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